यजुर्वेद क्या है | ॠग्वेद का लेखन सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुआ था, वहीं यजुर्वेद का लेखन कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुआ था. कुछ व्यक्तियों के मत के अनुसार यजुर्वेद का लेखनकल 1400 से 1000 ई.पू. माना जाता है
यजुर्वेद क्या है
प्राचीन भारत के पवित्र साहित्य वेद हैं जो हिन्दुओं का आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। विश्व के सबसे प्राचीन साहित्य वेद हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ और सनातन धर्म का मूल हैं।
- बलि के लिए समय अनुपालन के नियमों व सस्वर पाठ के लिए मन्त्रों के संकलन को यजुर्वेद कहा जाता है.
- यजुर्वेद में यज्ञों के विधि विधानों व नियमों का संकलन मिलता है.
- बलिदान विधि का वर्णन भी यजुर्वेद में मिलता है.
- यह एक ऐसा वेद है जो गद्य व पद्य दोनों से बना है.

यजुर्वेद हिन्दू धर्म के चार वेदों में से एक व महत्त्वपूर्ण धर्मग्रन्थ है. यजुर्वेद में यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं. अक्सर ऋग्वेद के बाद यजुर्वेद दूसरा वेद माना जाता है. यजुर्वेद हिन्दू धर्म के चार पवित्र वेदों में से एक है. ऋग्वेद के 663 मंत्र यजुर्वेद में पाए जाते हैं. यजुर्वेद के मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ होने के कारण यजुर्वेद को ऋग्वेद से भिन्न माना जाता है. ”यजुस”, यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को कहा जाता है.
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यजुर्वेद के पद्यात्मक मन्त्र अथर्ववेद या ॠग्वेद से लिये गये है. यजुर्वेद में स्वतंत्र पद्यात्मक मन्त्र बहुत कम हैं. इस वेद में दो शाखाएँ हैं :- उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद शाखा तथा दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद शाखा.
ॠग्वेद का लेखन सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुआ था, वहीं यजुर्वेद का लेखन कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुआ था. कुछ व्यक्तियों के मत के अनुसार यजुर्वेद का लेखनकल 1400 से 1000 ई.पू. माना जाता है। यजुस के नाम पर ही इस वेद का नाम यजुर्वेद रखा गया है {यजुस + वेद = यजुर्वेद} शब्दों की संधि से बना है। यज् का मतलब समर्पण होता है.
यजुर्वेद में अधिकतम यज्ञों और हवनों के नियम व विधान हैं, अतः यजुर्वेद कर्मकाण्ड का प्रधान है. इस वेद की लगभग संहिताएं अंतिम लेखन की गई संहिताएं थीं. जिसका लेख ईसा पूर्व द्वितीय सहस्राब्दि से प्रथम सहस्राब्दी के आरंभिक सदियों में किया गया है.
यजुर्वेद से आर्यों के धार्मिक व सामाजिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है. उनके समय की वर्ण-व्यवस्था तथा वर्णाश्रम की झाँकी भी यजुर्वेद में है
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यजुर्वेद क्या है FAQ
Ans बलि के लिए समय अनुपालन के नियमों व सस्वर पाठ के लिए मन्त्रों के संकलन को यजुर्वेद कहा जाता है.
Ans यजुर्वेद में यज्ञों के विधि विधानों व नियमों का संकलन मिलता है.
Ans बलिदान विधि का वर्णन भी यजुर्वेद में मिलता है.
Ans यजुर्वेद यह एक ऐसा वेद है जो गद्य व पद्य दोनों से बना है.
Ans ऋग्वेद के बाद यजुर्वेद दूसरा वेद माना जाता है.
Ans ऋग्वेद के 663 मंत्र यजुर्वेद में पाए जाते हैं.
Ans यजुर्वेद के मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ होने के कारण यजुर्वेद को ऋग्वेद से भिन्न माना जाता है.
Ans ”यजुस”, यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को कहा जाता है.
Ans वेद में दो शाखाएँ हैं.
Ans यजुर्वेद वेद की शाखाएँ उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद शाखा तथा दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद शाखा.
Ans यजुर्वेद का लेखन कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुआ था.
Ans यज् का मतलब समर्पण होता है.
Ans यजुस के नाम पर ही इस वेद का नाम यजुर्वेद रखा गया है.
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