सिन्धु सभ्यता क्या है part 2 | लेखनकला की उचित प्रणाली विकसित करने वाली प्रथम सभ्यता सुमेरिया की सभ्यता थी. सिन्धु सभ्यता के लोगों ने घरों तथा नगरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई थी
सिन्धु सभ्यता क्या है part 2
लेखनकला की उचित प्रणाली विकसित करने वाली प्रथम सभ्यता सुमेरिया की सभ्यता थी. सिन्धु सभ्यता के लोगों ने घरों तथा नगरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई थी. घरों के दरवाजें व खिड़कियाँ सड़क की ओर न खुलकर पिछवाड़े की ओर खुलते थे. केवल लोथल नगर के घरों के दरवाजे सड़क की ओर खुलते थे.

गेहूं व जौ सिन्धु सभ्यता की मुख्य फसल थी. सैंधव वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे. बनमाली में मिट्टी से बने हल का साक्ष्य मिला है. रंगपुर व लोथल से चावल के डेन मिले है, जिनसे धन की खेती के होने का प्रमाण मिलता है. चावल का प्रथम साक्ष्य लोथल से ही मिला है.
यह भी देखे :- सिन्धु सभ्यता क्या है part 1
सुरकोतदा, लोथल व कालीबंगन से सैंधव कालीन घोड़े के अस्थिपंजर मिले है. तौल की इकाई संभवतः 16 के अनुपात में थी. सैंधव सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहिए व चार पहिए वाली बैलगाड़ी व भैंसागाड़ी का प्रयोग करते थे.
सिन्धु काल में विदेशी व्यापर
आयातित वस्तुएं | प्रदेश |
तांबा | खेतड़ी, बलूचिस्तान, ओमान |
चांदी | अफगानिस्तान, ईरान |
सोना | कर्नाटक, अफगानिस्तान, ईरान |
टिन | अफगानिस्तान,ईरान |
गोमेद | सौराष्ट्र |
लाजवर्त | मेसोपोटामिया |
सीसा | ईरान |
मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलुहा शब्द का अर्थ सिन्धु सभ्यता से ही है. संभवतः हड़प्पा सभ्यता का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था. पिग्गट ने हडप्पा व मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वां राजधानी कहा है. सिन्धु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उनकी पूजा करते थे.
सिन्धु सभ्यता में वृक्ष पूजा व शिव पूजा के साक्ष्य भी मिलते है. स्वास्तिक चिन्ह संभवतः हडप्पा सभ्यता की देन है | इस चिन्ह से सूर्य की उपासना का अनुमान लगाया जा सकता है. सिन्धु घाटी के नगरों में किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले है. सिन्धु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना प्रचलित थी. पशुओं में कूबड़ व सांड, इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था.
यह भी देखे :- भारत का प्रागैतिहासिक काल
स्त्रीयों की मिट्टी की मूर्तियों के अधिक मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है की सैंधव समाज मातृसत्तात्मक था.
सैंधव वासी सूती व उनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे. मनोरंजन के लिए सैंधव वासी शिकार करना, मछली पकड़ना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना चौपड़ व पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे. सिन्धु सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाइन किए हुए लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे.
कालीबंगन एक मात्र हडप्पा कालीन स्थल था, जिसका निचला शहर भी किलों से घिरा था. कालीबंगन का अर्थ है काली चूड़ियाँ | यहाँ से पूर्व स्तरों के खेत जोते जाने व अग्निपूजा की प्रथा के प्रमाण मिलते है. सैंधव सभ्यता में पर्दाप्रथा व वेश्यावृति प्रचलित थी.

शवों को जलाने व गाड़ने दोनों प्रथाएँ प्रचलित थी. हड़प्पा में शवों को दफनाने व मोहनजोदड़ो में शवों को जलाने की प्रथा विद्यमान थी. लोथल व कालीबंगा में युग्म समाधियाँ मिली है.
सैंधव सभ्यता के विनाश का संभवतः प्रभावी कारण बाढ़ था. आग में पक्की हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता था.
यह भी देखे :- पुरातत्व से मिलने वाला प्राचीन भारत का इतिहास
सिन्धु सभ्यता क्या है part 2 FAQ
Ans लेखनकला की उचित प्रणाली विकसित करने वाली प्रथम सभ्यता सुमेरिया की सभ्यता थी.
Ans सिन्धु सभ्यता के लोगों ने घरों तथा नगरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई थी.
Ans गेहूं व जौ सिन्धु सभ्यता की मुख्य फसल थी.
Ans सैंधव वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे.
Ans चावल का प्रथम साक्ष्य लोथल से मिला है.
Ans तौल की इकाई संभवतः 16 के अनुपात में थी.
Ans हड़प्पा सभ्यता का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था.
Ans स्वास्तिक चिन्ह संभवतः हडप्पा सभ्यता की देन है.
Ans कालीबंगन का अर्थ है काली चूड़ियाँ.
Ans सैंधव सभ्यता के विनाश का संभवतः प्रभावी कारण बाढ़ था.
Ans आग में पक्की हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता था.
यह भी देखे :- प्राचीन भारत में यात्रा के दौरान अरबी लेखकों का विवरण
आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.. यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसन्द आया तो इसे अपने मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों के साथ शेयर करना मत भूलना ताकि वे भी इस आर्टिकल से संबंधित जानकारी को आसानी से समझ सके.