वारेन हेस्टिंग | Warren Hasting | वारेन हेस्टिंग्स एक अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ था. भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय हेस्टिंग्स तथा रॉबर्ट क्लाइव को दिया जाता है। हेस्टिंग्स, बंगाल की सुप्रीम काउंसिल का अध्यक्ष तथा फोर्ट विलियम प्रेसीडेंसी बंगाल का प्रथम गवर्नर था
वारेन हेस्टिंग | Warren Hasting
हेस्टिंग ने राजकीय कोषागार को मुर्शिदाबाद से कलकत्ता लाया गया था. 1772 ई. में इसने प्रत्येक जिले में एक फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की थी. फौजदारी अदालतें सदर निजामत अदालत द्वारा निरीक्षित होती थी. नाजिम द्वारा नियुक्त दरोगा अदालत की अध्यक्षता करता था. दीवानी अदालत में कलक्टर मुख्य न्यायाधीश होता था. जिला फौजदारी अदालत एक भारतीय अधिकारी के अधीन होती थी. इसकी सहयता के लिए एक मुफ़्ती व एक काजी होता था. कलक्टर इस न्यायलय के कार्य की देख-भाल करता था.
कलकत्ता में एक सदर दीवानी अदालत व एक सदर फौजदारी अदालत की स्थापना की गई. सदर दीवानी अदालत में कलकत्ता कौंसिल का सभापति और उसी कौंसिल का दो सदस्य राय रायन और मुख्य कानूनगो की सलह से न्याय करते थे. सदर फौजदारी अदालत में नाइब-निजाम, मुख्य काजी, मुफ़्ती और तीन मौलवियों की सलह से न्याय करते थे. जिलें की दीवानी व फौजदारी अदालतों के मुकदमे अंतिम निर्णय के लिए सदर अदालतों में भेजे जाते थे.
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हेस्टिंग ने नवाब की देख-भाल क लिए मीरजाफर की विधवा मुन्नी बेगम को उसका संरक्षक नियुक्त किया गया था. 1775 ई. में मुन्नी बेगम को हटाकर मुहम्मद रजा खां को नवाब का संरक्षक नियुक्त किया गया था. इसने 1781 ई. में कलकत्ता में मुस्लिम शिक्षा के विकास के लिए प्रथम मदरसा स्थापित किया था.
इसी के समय 1782 ई. में जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की थी. गीता के अंग्रेजी अनुवादकर विलियम विलकिन्स को हेस्टिंग ने आश्रय प्रदान किया था. इसी के समय में सर विलियम जोंस ने 1784 ई. में द एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना की थी.
इसने मुग़ल सम्राट को मिलने वाला 26 लाख रूपये की वार्षिक पेंशन बंद करवा दी थी. इसी के समय में 1780 ई. में भारत का पहला समाचार पत्र “द बंगाल गजट” का प्रकाशन “जेम्स ऑगस्टस हिक्की” ने किया था.
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- पिट्स इंडिया एक्ट हेस्टिंग के समय में ही पारित हुआ था.
- इसी के काल में “बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यु” की स्थापना हुई थी.
- हेस्टिंग ने सम्पूर्ण लगान के हिसाब की देखभाल के लिए एक भारतीय अधिकारी राय रायन की नियुक्ति की गई थी. इस पद को प्राप्त करने वाला पहला भारतीय दुर्लभराय का पुत्र राजा राजबल्लभ था.
- पिट्स इंडिया एक्ट के विरोध में इस्तीफ़ा देकर जब हेस्टिंग 1785 ई. में इंग्लैण्ड पहुंचा तो बर्क द्वारा उसके ऊपर महाभियोग चलाया गया था. परन्तु 1795 ई. में उसे आरोपों से मुक्त कर दिया था.
- सुरक्षा प्रकोष्ठ की निति वारेन हेस्टिंग से संबंधित है.
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वारेन हेस्टिंग FAQ
Ans हेस्टिंग ने राजकीय कोषागार को मुर्शिदाबाद से कलकत्ता स्थान्तरित किया था.
Ans 1772 ई. में प्रत्येक जिले में एक फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की गई थी.
Ans फौजदारी अदालतें सदर निजामत अदालत द्वारा निरीक्षित होती थी.
Ans नाजिम द्वारा नियुक्त दरोगा अदालत की अध्यक्षता करता था.
Ans दीवानी अदालत में कलक्टर मुख्य न्यायाधीश होता था.
Ans जिला फौजदारी अदालत एक भारतीय अधिकारी के अधीन होती थी.
Ans कलक्टर न्यायलय के कार्य की देख-भाल करता था.
Ans सदर दीवानी अदालत में कलकत्ता कौंसिल का सभापति और उसी कौंसिल का दो सदस्य राय रायन और मुख्य कानूनगो की सलह से न्याय करते थे.
Ans सदर फौजदारी अदालत में नाइब-निजाम, मुख्य काजी, मुफ़्ती और तीन मौलवियों की सलह से न्याय करते थे.
Ans जिलें की दीवानी व फौजदारी अदालतों के मुकदमे अंतिम निर्णय के लिए सदर अदालतों में भेजे जाते थे.
Ans पिट्स इंडिया एक्ट हेस्टिंग के समय में पारित हुआ था.
Ans हेस्टिंग के काल में “बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यु” की स्थापना हुई थी.
Ans हेस्टिंग ने सम्पूर्ण लगान के हिसाब की देखभाल के लिए एक भारतीय अधिकारी राय रायन की नियुक्ति की गई थी.
Ans पिट्स इंडिया एक्ट के विरोध में इस्तीफ़ा देकर हेस्टिंग 1785 ई. में इंग्लैण्ड पहुंचा था.
Ans सुरक्षा प्रकोष्ठ की निति वारेन हेस्टिंग से संबंधित है.
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