वासुदेव चहमान

वासुदेव चहमान | बिजौलिया शिलालेख, हम्मीर महाकाव्य, सुर्जन चरित्र, प्रबंध कोष, अर्ली चौहान डायनेस्टी आदि साक्ष्यों के अनुसार सपादलक्ष के चहमानों का आदि पुरुष वासुदेव चहमान था

वासुदेव चहमान

बिजौलिया शिलालेख, हम्मीर महाकाव्य, सुर्जन चरित्र, प्रबंध कोष, अर्ली चौहान डायनेस्टी आदि साक्ष्यों के अनुसार सपादलक्ष के चहमानों का आदि पुरुष वासुदेव चहमान था। इसने 551 ई. के लगभग सपादलक्ष में ‘चहमान’ राज्य की स्थापना की तथा अहिच्छत्रपुर को राजधानी बनाया। बिजौलिया शिलालेख के अनुसार वह वत्स गोत्रीय ब्राह्मण था। उसने सांभर झील का निर्माण करवाया।

इस प्रकार वासुदेव चहमान चौहानों का आदि पुरुष था। प्रारम्भ में चौहान गुर्जर-प्रतिहारों के सामंत थे परंतु गूवक प्रथम ने एक स्वतंत्र शासन स्थापित कर गुर्जरों की अधीनता अस्वीकार की। गूवक ने हर्षनाथ के मंदिर का निर्माण करवाया, जो चौहानों का इष्टदेव था। सिंहराज ने ‘महाराजाधिराज’ की उपाधि धारण की।

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प्रारंभिक चौहान शासकों में सबसे प्रतापी शासक सिंहराज का पुत्र ‘विग्रहराज द्वितीय’ हुआ, जो 965 ई. के आसपास सपादलक्ष का राजा बना। इसने अन्हिलपाटन के प्रसिद्ध चालुक्य शासक मूलराज-प्रथम को पराजित करके कर देने को बाध्य किया तथा भडाँच में अपनी कुलदेवी आशापुरा माता के मंदिर का निर्माण करवाया। 973 ई. के हर्षनाथ के अभिलेख से विग्रहराज के शासन काल के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।

वासुदेव चहमान
वासुदेव चहमान

विग्रह राज के पश्चात् क्रमशः दुर्लभराज, गोविंदराज तृतीय व वाकपति द्वितीय गद्दी पर बैठे। वाकपति द्वितीय ने मेवाड़ के शासक अम्बा प्रसाद को युद्ध में मार डाला। इसके पश्चात्, वीर्यराम, चामुण्डराज व दुर्लभराज तृतीय शासक बने। दुर्लभराज तृतीय ने गुजरात के राजा कर्ण से युद्ध किया तथा गजनी के इब्राहीम या प्रतिहारों से युद्ध करता हुआ मारा गया। दुर्लभराज तृतीय के पश्चात् वीरसिंह और फिर विग्रहराज तृतीय शासक बने।

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दुर्लभराज तृतीय का उत्तराधिकारी उसका भाई ‘विग्रहराज तृतीय’ था जिसे कुछ विद्वान वीसलदेव रासो का नायक ‘बीसल’ या ‘बीसलदेव’ भी कहते हैं। उसने परमार उदयादित्य की अपने अश्वारोहियों द्वारा चालुक्य राजा कर्ण के विरुद्ध सहायता की थी। दोनों पक्षों में संधि हुई। कर्ण ने अपनी पुत्री का विवाह विग्रहराज के साथ कर दिया। विग्रहराज ने विजय स्थल पर अपने नाम से वीसलनगर नामक नगर की स्थापना की। उसने भी मुस्लिम आक्रांताओं के विरुद्ध एक संघ बनाया तथा हांसी, थाणेश्वर और नगरकोट से मुस्लिम गवर्नरों को मार भगाया। इस विजय के बाद दिल्ली में स्तम्भ लेख लगवाया गया। इस स्तम्भ लेख में लिखा गया कि विन्ध्य से हिमालय तक मलेच्छों को निकाल बाहर किया गया जिससे आर्यावर्त एक बार फिर पुण्यभूमि बन गया।

विग्रहराज तृतीय के पुत्र ‘पृथ्वीराज प्रथम’ ने 1105 ई. में 700 चालुक्यों को जो पुष्कर के ब्राह्मणों को लूटने आये थे, मौत के घाट उतारा व ‘परम भट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर’ की उपाधि धारण की।

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वासुदेव चहमान FAQ

Q 1. सपादलक्ष के चहमानों का आदि पुरुष कौन था?

Ans – सपादलक्ष के चहमानों का आदि पुरुष वासुदेव चहमान था.

Q 2. चाहमान राज्य की स्थापना कब की गई थी?

Ans – चाहमान राज्य की स्थापना 551 ई. को की गई थी.

Q 3. चाहमान राज्य की स्थापना किसने की थी?

Ans – चाहमान राज्य की स्थापना वासुदेव चाहमान ने की थी.

Q 4. प्रारंभिक चौहान शासकों में सबसे प्रतापी शासक कौन हुआ था?

Ans – प्रारंभिक चौहान शासकों में सबसे प्रतापी शासक सिंहराज का पुत्र ‘विग्रहराज द्वितीय हुआ था.

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