जयसिंह प्रथम के उत्तराधिकारी | मिर्जाराजा जयसिंह का पुत्र ‘रामसिंह’ भी मिर्जा राजा की तरह वीर, साहसी और विजयी थे। रामसिंह का जन्म संवत् 1692 को और मृत्यु 1744 संवत् में हुई
जयसिंह प्रथम के उत्तराधिकारी
मिर्जाराजा जयसिंह का पुत्र ‘रामसिंह’ भी मिर्जा राजा की तरह वीर, साहसी और विजयी थे। रामसिंह का जन्म संवत् 1692 को और मृत्यु 1744 संवत् में हुई। उनके पुत्र किशनसिंह जी हुए परन्तु वे छोटी अवस्था में ही मर गए। राजा रामसिंह के बड़े पुत्र कृष्णसिंह युवराज अवस्था में परलोक सिधार गए। इस कारण रामसिंह की मृत्यु के बाद कृष्णसिंह के पुत्र ‘विष्णुसिंह’ रामसिंह के उत्तराधिकारी बने। इस समय सम्राट औरंगजेब दक्षिण में फंसे हुए था।
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जब मुगल सेना जाटों की उद्दण्डता रोक न पाई तो औरंगजेब ने रामसिंह के पोते विष्णुसिंह को जाट विद्रोह को दबाने भेजा। जाट युद्ध के पीछे महाराज विष्णुसिंह का संवत् 1756 में काबुल में स्वर्गवास हुआ। महामहोपाध्याय गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने अपने ‘सवाई जयसिंह जी’ निबंध में एक रानी का नाम इन्द्रकुंवरी जी लिखा है जिनमें गर्भ से सवाई जयसिंह उत्पन्न हुए थे।
विष्णुसिंह के समय में सम्मानित कवि ‘कुलपति मिश्र’ थे। ये महाराजा रामसिंह के जमाने में हुए थे। उन्होंने ‘संग्रामसार’ ग्रंथ लिखा। दूसरा ग्रंथ ‘दुर्गाभक्तिचन्द्रिका’ विष्णुसिंह की आज्ञा से बनाया था।
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जयसिंह प्रथम के उत्तराधिकारी FAQ
Ans – रामसिंह का जन्म संवत् 1692 को हुआ था.
Ans – रामसिंह की मृत्यु 1744 संवत् को हुई थी.
Ans – रामसिंह की मृत्यु के बाद आमेर का शासक कृष्णसिंह के पुत्र ‘विष्णुसिंह’ बने थे.
Ans – विष्णुसिंह का स्वर्गवास संवत् 1756 में काबुल में हुआ था.
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