त्याग प्रथा

त्याग प्रथा | मध्यकाल में कई कुप्रथाएँ प्रचलित थी, जिनमें से एक प्रमुख प्रथा त्याग प्रथा थी. सर्वप्रथम 1841 ई. में जोधपुर राज्य में इस प्रथा को सीमित करने के प्रयास किए थे

त्याग प्रथा

मध्यकाल में कई कुप्रथाएँ प्रचलित थी, जिनमें से एक प्रमुख प्रथा त्याग प्रथा थी. सर्वप्रथम 1841 ई. में जोधपुर राज्य में इस प्रथा को सीमित करने के प्रयास किए थे.

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राजस्थान में राजपूत जाति में विवाह के अवसर पर चारण, भाट, ढ़ोली आदि अपने यजमान लड़की वालों से मुँह मांगी दान-दक्षिणा लेते थे जिसे ‘त्याग’ कहा जाता था। त्याग की इस कुप्रथा के कारण भी प्रायः कन्या का वध कर दिया जाता था। सर्वप्रथम 1841 ई. में जोधपुर राज्य में ब्रिटिश अधिकारियों के सहयोग से नियम बनाकर त्याग परंपरा को सीमित करने का प्रयास किया गया।

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त्याग प्रथा FAQ

Q 1. ‘त्याग’ किसे कहा जाता था?

Ans – राजस्थान में राजपूत जाति में विवाह के अवसर पर चारण, भाट, ढ़ोली आदि अपने यजमान लड़की वालों से मुँह मांगी दान-दक्षिणा लेते थे जिसे ‘त्याग’ कहा जाता था।

Q 2. सर्वप्रथम त्याग परंपरा को सीमित करने के प्रयास कब किए थे?

Ans – सर्वप्रथम 1841 ई. में जोधपुर राज्य में त्याग परंपरा को सीमित करने के प्रयास किए थे.

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