रावराजा बुद्धसिंह | राव बुद्धसिंह, राव अनिरुद्धसिंह का ज्येष्ठ पुत्र या जो 10 वर्ष की आयु में 1695 ई. में बूंदी राज्य का स्वामी बना. बुद्धासिंह ने ‘नेहतरंग’ नामक ग्रंथ की रचना की थी
रावराजा बुद्धसिंह
राव बुद्धसिंह, राव अनिरुद्धसिंह का ज्येष्ठ पुत्र या जो 10 वर्ष की आयु में 1695 ई. में बूंदी राज्य का स्वामी बना। जब औरंगजेब की मृत्यु हुई तो उसके पुत्रों के बीच उत्तराधिकार के लिए युद्ध उन गया। बुद्धसिंह ने बहादुरशाह का साथ दिया। बुद्धसिंह को ‘महाराव राणा’ का खिताब एवं कुछ परगने जागीर में दिये। बुद्धासिंह ने ‘नेहतरंग’ नामक ग्रंथ की रचना की।
यह भी देखे :- राव अनिरुद्ध हाड़ा
यह भी देखे :- राव भावसिंह हाड़ा
मुगल बादशाह फर्रुखशियर के समय बूँदी नरेश बुद्धसिंह के जयपुर नरेश जयसिंह के खिलाफ अभियान पर न जाने के कारण बूँदी राज्य का नाम ‘फर्रुखाबाद’ रखा और उसे कोटा नरेश को दे दिया। परंतु कुछ समय बाद बुद्धसिंह को बूँदी का राज्य वापस मिल गया।
राजस्थान में मराठों का सर्वप्रथम प्रवेश बूँदी में हुआ, जब 1734 ई. में वहाँ की बुद्धसिंह की कच्छवाही रानी आनन्द कुँवरी ने अपने पुत्र उम्मेदसिंह के पक्ष में मराठा सरदार होल्कर व राणोजी को आमंत्रित किया। उम्मेदसिंह को एक राजा ने ‘हुन्जा’ नामक इराकी घोड़ा उपहार में दिया।
यह भी देखे :- राव शत्रुशाल हाड़ा
रावराजा बुद्धसिंह FAQ
Ans – राव बुद्धसिंह के पिताजी का नाम राव अनिरुद्धसिंह था.
Ans – राव बुद्धसिंह का राज्याभिषेक 1695 ई. को किया गया था.
Ans – राव बुद्धसिंह का राज्याभिषेक 10 वर्ष की उम्र में किया गया था.
Ans – औरंगजेब पुत्रों के बीच उत्तराधिकार युद्ध में बुद्धसिंह ने बहादुरशाह का साथ दिया था.
Ans – ‘नेहतरंग’ नामक ग्रंथ की रचना बुद्धासिंह ने की थी.
Ans – राजस्थान में मराठों का सर्वप्रथम प्रवेश बूँदी में हुआ था.
आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.. यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसन्द आया तो इसे अपने मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों के साथ शेयर करना मत भूलना ताकि वे भी इस आर्टिकल से संबंधित जानकारी को आसानी से समझ सके.
यह भी देखे :- राव भोज हाड़ा