किशनगढ़ के राठौड़

किशनगढ़ के राठौड़ | राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य किशनगढ़ की स्थापना 1609 ई. में जोधपुर शासक मोटाराजा उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने की थी

किशनगढ़ के राठौड़

राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य किशनगढ़ की स्थापना 1609 ई. में जोधपुर शासक मोटाराजा उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने की थी। बादशाह जहाँगीर ने यहाँ के शासक को ‘महाराजा’ का खिताब प्रदान किया। महाराजा सावंतसिंह किशनगढ़ के प्रसिद्ध शासक हुए, जो कृष्णभक्ति में राज-पाट त्यागकर वृन्दावन चले गये एवं ‘नागरीदास’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

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इनकी प्रेयसी बणी-ठणी थी। प्रसिद्ध चित्रकार मोरध्वज निहालचन्द ने बणी-ठणी का चित्र बनाकर उनके प्रेम को अमर कर दिया एवं किशनगढ़ शैली को विश्व प्रसिद्ध बना दिया। बणी-ठणी को भारत की ‘मोनालिसा’ कहा जाता है।

किशनगढ़ को 25 मार्च 1948 ई. को द्वितीय चरण में राजस्थान संघ में मिला दिया गया था. किशनगढ़ के अंतिम शासक राजा सुमेर सिंह थे, जो की किशनगढ़ के राजस्थान संघ में विलय तक शासक थे.

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किशनगढ़ के राठौड़ FAQ

Q 1. राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य का नाम क्या है?

Ans – राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य किशनगढ़ है.

Q 2. राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य की स्थापना कब की गई थी?

Ans – राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य की स्थापना 1609 ई. में की गई थी.

Q 3. राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य की स्थापना किसने की थी?

Ans – राजस्थान में राठौड़ वंश के तीसरे राज्य की स्थापना किशनसिंह ने की थी.

Q 4. किशनगढ़ को राजस्थान संघ में कब मिलाया गया था?

Ans – किशनगढ़ को 25 मार्च 1948 ई. को द्वितीय चरण में राजस्थान संघ में मिला दिया गया था.

Q 5. किशनगढ़ के अंतिम शासक कौन थे?

Ans – किशनगढ़ के अंतिम शासक राजा सुमेर सिंह थे.

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