राव जोधा

राव जोधा | राव रणमल के पश्चात् उसका बड़ा पुत्र राव जोधा मारवाड़ का शासक बना। उसने 1453 ई. में मण्डौर पर धावा बोल दिया जिसमें उसकी विजय हुई

राव जोधा

राव रणमल के पश्चात् उसका बड़ा पुत्र राव जोधा मारवाड़ का शासक बना। 1438 ई. में जब चित्तौड़ में रणमल की हत्या हुई तो उसका पुत्र जोघा अपने साथियों साथ मारवाड़ की ओर भागा। वह मारवाड़ के किनारे वाले गाँव काहुँनी में जा पहुंचा। यहाँ से आगे बढ़कर उसने चौकड़ी के थाने पर हमला किया।

क्रमशः भाटी बनवीर, वीसलदेव, रावल दूदा आदि राणा के सहयोगी भी पराजित होते गये और जोघा की शक्ति बढ़ती गयी। इधर से उसने हंसाबाई के प्रभाव से राणा के वैमनस्य को भी कम करवाया। 1453 ई. में उसने मण्डौर पर धावा बोल दिया जिसमें उसकी विजय हुई। जोधा ने अपनी पुत्री शृंगार देवी का विवाह राणा कुम्भा के पुत्र से किया।

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वीर विनोद और बांकीदास के अनुसार सोजत उसने अपने बड़े भाई के सुपुर्द किया। मेड़ता में उसने अपने पुत्र वीरसिंह को रखा। छापर, द्रोणपुर बोदा के हाथ सौंपा। उसने अपने अधिक उत्साही पुत्र बीका को कांघल और नापा के सहयोग से बीकानेर की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

नैणसी, बांकीदास, दयालदास के अनुसार अपने राज्य की शक्ति को संगठित करने के लिए राव जोधा ने अपने वृहत् राज्य की नयी राजधानी जोधपुर में 1459 ई. में स्थापित की नयी राजधानी को सुरक्षित रखने के लिए चिड़ियाट्रंक पहाड़ी पर नया दुर्ग भी बनवाया गया जिसे मेहरानगढ़ कहा गया। इन कामों से निश्चिंत होने पर उसने काशी, गया और प्रयाग को भी यात्रा की। इसका उल्लेख बींदू सूजा के जैतसी से छन्द और जोधा की पुत्री शृंगार देवी के ई.स. 1504 के घोसुण्डी गांव के लेख में मिलता है।

बहलोल लोदी के सारंगखाँ नामक अधिकारों को परास्त कर उसने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ा ली थी। लगभग 50 वर्ष के लम्बे शासन के अनुभव के बाद जोधा की मृत्यु 1489 ई. में हुई। डॉ. ओझा राव जोधा को ही ‘जोधपुर का पहला प्रतापी राजा’ कहते हैं।

राव जोधा
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जोधा के उत्तराधिकारी :

जोधा के बाद इस काल में उसके दो उत्तराधिकारी राव सातल (1489-1492 ई.) तथा राव सूजा = (1492-1515 ई.) हुए, जिन्होंने अपने राठौड़ राज्य को विस्तारित करने का प्रयत्न किया। राव सातल अपने नाम से सातलमेर को बसाकर ख्याति अर्जित की। 1490 ई. में अजमेर के हाकिम मल्लूखाँ ने राव सातल के भाई वरसिंह को अजमेर आमन्त्रित किया और वहाँ छल से उसे बन्दी बना लिया।

राव सातल ने शीघ्र ही शत्रु का मुकाबला पीपाड़ के पास जाकर किया। जिसमें मल्लूखाँ को मैदान छोड़कर भागना पड़ा। राव सातल बहुत अधिक घायल हुआ। 13 मार्च, 1492 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी। मारवाड़ के प्रसिद्ध ‘गुड़ला उत्सव’ की शुरुआत सातल की मल्लू खाँ पर विजय के उपलक्ष्य में हुई। सातल की पत्नी फूला भट्याणी ने जोधपुर में ‘फूलेलाल तालाब’ का निर्माण करवाया। अपने ज्येष्ठ भाई की निःसंतान मृत्यु के उपरान्त राव सूजा मारवाड़ का स्वामी बना। राव बीका ने भी अपने पिता की पूजनीक चीजे प्राप्त करने के लिए उसके समय में जोधपुर पर चढ़ाई की थी।

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राव जोधा FAQ

Q 1. राव रणमल के पश्चात् मारवाड़ का शासक कौन बना?

Ans – राव रणमल के पश्चात् उसका बड़ा पुत्र राव जोधा मारवाड़ का शासक बना.

Q 2. राव जोधा ने मंडोर पर आक्रमण कर उसे कब जीता था?

Ans – राव जोधा ने 1453 ई. को मंडोर पर आक्रमण कर उसे जीता था.

Q 3. राव जोधा की मृत्यु कब हुई थी?

Ans – राव जोधा की मृत्यु 1489 ई. को हुई थी.

Q 4. राव सातल की मृत्यु कब हुई थी?

Ans – राव सातल की मृत्यु 13 मार्च, 1492 ई. को हुई थी.

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