राव भोज हाड़ा |राव भोज सुर्जन का दूसरा पुत्र था जो अपने पिता की मृत्यु के बाद 1585 ई. में बूंदी के राज्य का अधिकारी बना। उसने 22 वर्षों तक शासन किया था
राव भोज हाड़ा
राव भोज सुर्जन का दूसरा पुत्र था जो अपने पिता की मृत्यु के बाद 1585 ई. में बूंदी के राज्य का अधिकारी बना। भोज ने बहुत समय मान सिंह के अधीन रहकर बादशाह अकबर के लिए युद्ध लड़े थे.
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इसने उड़ीस के शाही युद्धों में मानसिंह के साथ रहकर तथा गुजरात के युद्धों एवं अहमदनगर (1600 ई.) के घेरे में अकबर के साथ रहकर अपनी वीरता का परिचय दिया था। अकबर के दरबार में भोज मनसब एक हजारी था. अहमदनगर की विजय से प्रसन्न होकर बादशाह अकबर ने भोज के नाम पर वहां के एक बुर्ज का नाम ‘भोज बुर्ज’ रखा था.
भोज का देहांत 1607 ई. में हुआ था. उसने 22 वर्षों तक शासन किया था. उसके चार पुत्र थे, जिनका नाम रतनसिंह, हृदयनारायण, केशवदास और मनोहरदास था.
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राव भोज हाड़ा FAQ
Ans – राव भोज के पिताजी का नाम राव सुर्जन था.
Ans – राव भोज का राज्याभिषेक 1585 ई. को किया गया था.
Ans – राव भोज ने मान सिंह के अधीन रहकर अकबर के लिए बहुत समय तक युद्ध लड़े थे.
Ans – राव भोज का देहांत 1607 ई. को हुआ था.
Ans – राव भोज ने 22 वर्षों तक शासन किया था.
Ans – राव भोज के 4 पुत्र थे.
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