राजाराम जाट | राजाराम भरतपुर के जाट शासक थे. उसने गोकुल जाट के बाद जाट विद्रोह का नेतृत्व किया था. उसने मुगलों के अत्याचारों का घोर विरोध किया था
राजाराम जाट
राजाराम भरतपुर के जाट शासक थे. उसने गोकुल जाट के बाद जाट विद्रोह का नेतृत्व किया था. उसने मुगलों के अत्याचारों का घोर विरोध किया था. 1685 ई. में राजाराम के नेतृत्व में दूसरा जाट विद्रोह हुआ। यह विद्रोह अधिक संगठित था।
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इस युद्ध में जाटों ने छापामार हमलों के साथ-साथ लूटमार की नीति अपनाई राजाराम ने सिकन्दरा (आगरा) में स्थित अकबर के मकबरे को लूटा और मकबरे से अकबर की हड्डियों को निकालकर हिन्दू विधि विधान से उनका दाह संस्कार किया।

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उन्होंने बहुमूल्य रत्नों और सोने-चाँदी के पत्थरों को उखाड़ दिया और अपने साथ ले गए व जिन्हें अपने साथ नहीं ले जा सकते थे, उन्हें नष्ट कर दिया. 1688 ई. में औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्श और आमेर के राजा बिशनसिंह ने राजाराम को परास्त किया।
राजाराम के साहस की चर्चा होती थी तो मुग़ल शासक डर जाते थे. औरंगज़ेब के अत्याचार, हिन्दू मन्दिरों के विनाश और मन्दिरों की जगह पर मस्जिदों का निर्माण करने से जनता के मन में बदले की भावना पनप चुकी थी. इसी कारण से लोग मुग़ल शासकों के विरुद्ध विद्रोह करने लगे थे. 4 जुलाई 1688 ई. को मुगलों से युद्ध करते वक्त एक मुग़ल सैनिक ने धोखे से पीछे से वार किया, जिससे राजाराम शहीद हो गए.
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राजाराम जाट FAQ
Ans – राजाराम भरतपुर के शासक थे.
Ans – गोकुल जाट के बाद जाट विद्रोह का नेतृत्व राजाराम ने किया था.
Ans – दूसरा जाट विद्रोह 1685 ई. में हुआ था.
Ans – दूसरा जाट विद्रोह राजाराम के नेतृत्व में हुआ था.
Ans – राजाराम का देहांत 4 जुलाई 1688 ई. को हुआ था.
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