नागौर के राजवंश

नागौर के राजवंश | महाभारत में नागौर का अहिच्छत्र राज्य के रूप में उल्लेख मिलता है जिसे अर्जुन ने जीतकर अपने गुरु द्रोणाचार्य को समर्पित किया

नागौर के राजवंश

महाभारत में नागौर का अहिच्छत्र राज्य के रूप में उल्लेख मिलता है जिसे अर्जुन ने जीतकर अपने गुरु द्रोणाचार्य को समर्पित किया। यह क्षेत्र छापर चूरू के नाम से जाना गया जो प्राचीन काल में द्रोणपुर या द्रोणक के नाम से जाना जाता था। बिजौलिया अभिलेख 1170 ईस्वी में नागौर का उल्लेख किया गया है।

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प्राचीन समय में यह कस्बा नागपुर नाम से जाना गया जो चौहानों द्वारा शासित था। नागौर की पहचान जाटों के रोम के रूप में की जाती है। 7वीं सदी के लगभग यहां नागवंशी जाटों ने शासन किया। तत्पश्चात् चौहानों ने अपना राज्य कायम किया जो सपादलक्ष में सम्मिलित किया गया।

नागौर शहर मध्य एशिया के मुस्लिम आक्रमणकारियों का मुख्य केन्द्र था। नागौर मीरा और अबुल फजल का जन्म स्थल भी रहा है। नागौर में पाश्वनार्थ एवं चारभुजा मंदिर तथा सूफी संत तारकिन को दरगाह बड़े प्रसिद्ध स्थल है।

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नागौर के राजवंश FAQ

Q 1. नागौर का अहिच्छत्र राज्य के रूप में उल्लेख कहाँ मिलता है?

Ans – महाभारत में नागौर का अहिच्छत्र राज्य के रूप में उल्लेख मिलता है.

Q 2. नागौर प्राचीन समय में किस नाम से जाना जातास था?

Ans – नागौर प्राचीन समय में द्रोणपुर या द्रोणक के नाम से जाना जाता था.

Q 3. नागौर की पहचान किसके रूप में की जाती है?

Ans – नागौर की पहचान जाटों के रोम के रूप में की जाती है.

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