[2023] मिहिर भोज प्रथम : गुर्जर-प्रतिहार वंश

मिहिर भोज प्रथम : गुर्जर-प्रतिहार वंश | मिहिरभोज इस वंश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था. यह रामभद्र का पुत्र था. इसकी माता का नाम अप्पा देवी था

मिहिर भोज प्रथम : गुर्जर-प्रतिहार वंश

मिहिरभोज इस वंश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था. यह रामभद्र का पुत्र था. इसकी माता का नाम अप्पा देवी था. इसका सर्वप्रथम अभिलेख वराह अभिलेख है जिसकी तिथि 893 विक्रम संवत् है. अतः इसका शासनकाल लगभग 836 ई. से प्रारंभ हुआ होगा. इसके शासनकाल की अंतिम तिथि 885 ई. थी.

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इसका सर्वाधिक प्रचलित अभिलेख ग्वालियर प्रशस्ति है जिससे इस वंश के बारें में काफी जानकारी मिलती है. इसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की जिसकी स्थायी राजधानी कन्नौज को बनाया गया था. कश्मीरी कवि कल्हण की “राजतरंगिणी” में मिहिरभोज की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है. अरब यात्री “सुलेमान” ने मिहिरभोज को भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया है जिसने अरबों को रोक दिया था.

ग्वालियर अभिलेख में इसकी उपाधि आदिवराह मिलती है. दौलतपुर अभिलेख इसे प्रभास कहता है. परन्तु इसने अपनी मुद्राओं पर आदिवराह की उपाधि उत्कीर्ण करवाई थी. इसके समय में चांदी व तांबे के सिक्के, जिन पर श्रीमदादिवराह अंकित रहता था. यह सिक्के उसके पराक्रम व उसके उद्धार के द्योतक है. यह प्रतिहार वंश का ही नहीं वरन प्राचीन भारत का एक महान शासक माना जाता है.

मिहिर भोज प्रथम : गुर्जर-प्रतिहार वंश
मिहिर भोज प्रथम : गुर्जर-प्रतिहार वंश
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मिहिर भोज की उपलब्धियां :-

  • कालिंजर मंडल : मिहिरभोज ने कालिंजर पर अपने अधिकार की स्थापना वहां के चंदेल नरेश जयशक्ति को पराजित करके की थी.
  • गुर्जरात्र : इस प्रदेश पर पुनः अपना अधिकार करने के लिए मिहिरभोज को मंडौर की प्रतिहार शाखा के राजा बाऊक का दमन करना पड़ा था. यह अनुमान जोधपुर अभिलेख पर आधारित है. इस समय का दक्षिणी राजपुताना का चाहमान वंश भोज का अधीन था.
  • कलचुरी वंश : कलचुरी अभिलेख का कथन है की कलचुरी वंश के राजा गुणामबोधि देव को भोजदेव ने भूमि प्रदान की थी. अधिकांश विद्वानों के मत के अनुसार यह भोजदेव मिहिरभोज था. इस लेख से स्पष्ट होता है की कलचुरी वंश भोज ने अधीन था.
  • गुहिल वंश : चाटसू अभिलेख से प्रकट होता है की हर्षराज गुहिल ने गौड़ नरेश को पराजित किया व पूर्वी भारत के राजाओं से कर वसूल किए. भोज को उपहार स्वरूप घोड़े दिए थे. इस अभिलेख से प्रकट होता है की गुहिल नरेश भी भोज के अधीन था.
  • हरियाणा : 882 ई. के पिहोवा अभिलेख से सिद्ध होता है की भोजदेव के शासनकाल में कुछ व्यापारियों ने वहां के बाजार में घोड़ों का क्रय-विक्रय किया था. इस कथन से सिद्ध होता है की हरियाणा पर भी भोज का अधिकार था.
  • राष्ट्रकुटों से युद्ध : अपने पूर्वजों की भांति भोज को भी राष्ट्रकूट राजाओं से युद्ध करना पड़ा था. इस बार युद्ध का श्रीगणेश स्वयं भोज ने किया था. उसने राष्ट्रकूट शासक को पराजित कर उज्जैन पर अधिकार कर लिया था. इस समय राष्ट्रकूट वंश में कृष्ण द्वितीय का शासन था.
  • पालों से युद्ध : भोज को अपने समकालीन पाल वंश के शासक देवपाल से भी युद्ध किया था. देवपाल पाल वंश का एक महान शासक था व भोज की भांति भारतवर्ष में अपना एकछत्र राज्य स्थापित करना चाहता था. देवपाल के बाद उसके उत्तराधिकारी नारायणपाल को भोज ने बुरी तरह पराजित किया था.

स्कन्धपूरण के अनुसार भोज ने तीर्थयात्रा का करने के लिए राज्य भार अपने पुत्र महेन्द्रपाल को सौंप कर सिंहासन त्याग दिया था.

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मिहिर भोज प्रथम FAQ

Q 1. प्रतिहार वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक कौन था?

Ans प्रतिहार वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक भोज था.

Q 2. भोज के पिता का नाम क्या था?

Ans भोज के पिता का नाम रामभद्र था.

Q 3. भोज की माता का नाम क्या था?

Ans भोज की माता का नाम अप्पा देवी था.

Q 4. भोज का प्रथम अभिलेख कौनसा है?

Ans भोज का प्रथम अभिलेख वराह है.

Q 5. वराह अभिलेख की तिथि क्या है?

Ans वराह अभिलेख की तिथि 893 विक्रम संवत् है.

Q 6. भोज का शासनकाल कब से प्रारंभ हुआ था?

Ans भोज का शासनकाल 836 ई. से प्रारंभ हुआ था.

Q 7. भोज के शासनकाल की अंतिम तिथि क्या थी?

Ans भोज के शासनकाल की अंतिम तिथि 885 ई. थी.

Q 8. भोज का सर्वाधिक प्रचलित अभिलेख कौन था?

Ans भोज का सर्वाधिक प्रचलित अभिलेख प्रशस्ति था.

Q 9. भोज ने अपनी राजधानी कहाँ स्थापित की थी?

Ans भोज ने अपनी राजधानी कन्नौज स्थापित की थी.

Q 10. अरब यात्री “सुलेमान” ने किसको भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया है?

Ans अरब यात्री “सुलेमान” ने मिहिरभोज को भारत का सबसे शक्तिशाली शासक बताया है.

Q 11. ग्वालियर अभिलेख में भोज की कौनसी उपाधि मिलती है?

Ans ग्वालियर अभिलेख में भोज की उपाधि आदिवराह मिलती है.

Q 12. दौलतपुर अभिलेख भोज को क्या कहता है?

Ans दौलतपुर अभिलेख भोज को प्रभास कहता है.

Q 13. भोज ने अपनी मुद्राओं पर कौनसी उपाधि उत्कीर्ण करवाई थी?

Ans भोज ने अपनी मुद्राओं पर आदिवराह की उपाधि उत्कीर्ण करवाई थी.

Q 14. भोज का उत्तराधिकारी कौन था?

Ans भोज का उत्तराधिकारी महेन्द्रपाल था.

Q 15. भोज को अपने समकालीन पाल वंश का शासक कौन थे?

Ans भोज को अपने समकालीन पाल वंश का शासक देवपाल था.

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1 Comment

  1. Pramod Kumar Singhsays:

    Hindu spreads like a ray of hope in forest before sun rise after Panipat bettal lost by hindu from the city Aryapuri situated around the a temple court-yards. Those want to see in actually, they may see trough the permanent mark now a days established Path goes to various villages, where all Chistryas living even now days & again migrating towards old city by magnetic charm of their temple still in aryapuri now a days this city known as “MUZAFFAR NAGAR”.

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