मध्यकालीन खान-पान

मध्यकालीन खान-पान | गेहूं, चावल, दाल, जौ, ज्वार, तेल, घी, मसाले और गोश्त का प्रयोग भोज्य पदार्थों के रूप में किया जाता था। शाकाहारी व्यक्ति दूध तथा दूध से तैयार किए हुए रुचिकर व्यंजनों का प्रयोग बड़े चाव से करते थे।

मध्यकालीन खान-पान

मध्यकाल में गेहूं, चावल, दाल, जौ, ज्वार, तेल, घी, मसाले और गोश्त का प्रयोग भोज्य पदार्थों के रूप में किया जाता था। जैन धर्म के बढ़ते हुए प्रभाव के कारण माँसाहार कम होने लगा और यहां के निवासी शाकाहारी बनने लगे। इसीलिए यहां के ग्रंथों में लिखा हुआ मिलता है कि जो लोग पशु-पक्षियों का माँस-प्राप्ति के लिए शिकार करते थे उन्हें दण्ड दिया जाता था।

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मध्यकालीन खान-पान
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शाकाहारी व्यक्ति दूध तथा दूध से तैयार किए हुए रुचिकर व्यंजनों का प्रयोग बड़े चाव से करते थे। भारतीय भोजन में मध्यकालीन युग बहुत ही प्रभावशाली था. उस समय दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आक्रमणकारी व यात्री भारत आए व विभिन्न व्यंजनों के अद्भव में अपना योगदान दिया.

मुगल साम्राज्य ने 500-1800 के मध्य भारतीय उपमहाद्वीप पर शासन किया और मुगलई व्यंजनों का उदय शासकों से जुड़ा था। भारतीय भोजन में मध्यकालीन युग को समृद्ध बनाने चीन, तिब्बत और अन्य पड़ोसी देशों के यात्रियों ने अपना योगदान दिया है.

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मध्यकालीन खान-पान FAQ

Q 1. मध्यकाल में भोज्य पदार्थों के रूप में किस-किस का प्रयोग किया जाता था?

Ans – मध्यकाल में गेहूं, चावल, दाल, जौ, ज्वार, तेल, घी, मसाले और गोश्त का प्रयोग भोज्य पदार्थों के रूप में किया जाता था.

Q 2. भारतीय भोजन में मध्यकालीन युग को समृद्ध बनाने किन-किन पड़ोसी देशों के यात्रियों ने अपना योगदान दिया है?

Ans – भारतीय भोजन में मध्यकालीन युग को समृद्ध बनाने चीन, तिब्बत और अन्य पड़ोसी देशों के यात्रियों ने अपना योगदान दिया है.

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