मध्यकालीन कृषक जातियां | मध्यकाल में भारत एक कृषि प्रधान देश था. उस समय लोगों की आय का मुख्य स्त्रोत खेती करना ही था. उस समय खेती करने में कई जातियां लगी हुई थी
मध्यकालीन कृषक जातियां
मध्यकाल में भारत एक कृषि प्रधान देश था. उस समय लोगों की आय का मुख्य स्त्रोत खेती करना ही था. उस समय खेती करने में कई जातियां लगी हुई थी, जिनके बारें में यहाँ वर्णन किया जा रहा है :
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कलबी
इनकी अधिक आबादी बाड़मेर तथा जालौर जिलों में है। इनका प्रधान व्यवसाय कृषि है। इन्हें मारवाड़ में पटेल नाम से भी पुकारा जाता है। ये लोग गुजरात से राजस्थान में आए तथा पचपदरा, सिवाना और जालौर में बस गए।

लोधा
ये अधिकतर हाड़ौती क्षेत्र, भरतपुर व सवाई माधोपुर जिले में बसे हैं। इनका मुख्य पेशा कृषि है।
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धाकड़
धाकड़ लोगों का भी मुख्य पेशा कृषि है।ये लोग काश्तकारी में बड़े कुशल होते हैं। कुछ लोग इन्हें कृष्ण का वंशज मानते हैं परन्तु कुछ विद्वान इन्हे जगदेश पंवार का वंशज मानते हैं।
कीर
कीर जाति का मुख्य व्यवसाय नदियों व तालाबों में फसल पैदा करना है। ये लोग चावल, सिंघाड़ा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज आदि पैदा करते हैं।
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मध्यकालीन कृषक जातियां FAQ
Ans – धाकड़ लोगों का भी मुख्य पेशा कृषि है.
Ans – बाड़मेर तथा जालौर जिलों में है.
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