महेन्द्रपाल द्वितीय : गुर्जर-प्रतिहार वंश | महिपाल की मृत्यु के बाद उसका पुत्र महेन्द्रपाल द्वितीय सिंहासन पर बैठा था. इसकी माता का नाम प्रसाधना था. इसके समय का एक शिलालेख प्रतापगढ़ से मिला है, जो विक्रम संवत् 1003 ई. {946 ई.} का है
महेन्द्रपाल द्वितीय : गुर्जर-प्रतिहार वंश
महिपाल की मृत्यु के बाद उसका पुत्र महेन्द्रपाल द्वितीय सिंहासन पर बैठा था. इअकी माता का नाम प्रसाधना था. इसके समय का एक शिलालेख प्रतापगढ़ से मिला है, जो विक्रम संवत् 1003 ई. {946 ई.} का है.
इसमें पाया गया है की घोटावर्षिका का चौहान इन्द्रराज का सामंत था, उस समय मंडपिका बलाधिकृत कोक्कट नियुक्त किया हुआ श्रीशर्मा रहता था व मालवा का तंत्रपाल महासामंत, महादंडनायक माधव था जो था जो उज्जैन में रहता था.
चौहान इन्द्रराज के बनाये हुए घोटावर्षिका के “इन्द्रराजादित्यदेव” नामक सूर्यमंदिर को “धारापद्रक” गाँव महेन्द्रपाल ने भेंट किया था, जिसके सनद पर उक्त माधव ने हस्ताक्षर किए थे. ग्रंथों की रचना से महेन्द्रपाल के समय में समाज, शिक्षा स्तर आदि का बोध होता है.
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महेंद्रापाल के बाद प्रतिहार वंश में चार शासक हुए थे-देवपाल, विनायकपाल द्वितीय, महिपाल द्वितीय तथा विजयपाल.
देवपाल का शिलालेख 948 का मिलता है. यह परमभट्टारक, महाराजाधिराज तथा परमेश्वर की उपाधि से विभूषित था. सियोडोनी अभिलेख से प्रकट होता है की क्षितिपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल सिंहासन पर बैठा था. यही शिलालेख आगे कहता है की यशोवर्मन ने कालिंजर पर अधिकार कर लिया था.
“विनायकपाल द्वितीय का नाम 954 ई. के खजुराहो अभिलेख से प्राप्त होता है. इसके अनुसार वह वसुधा का पालन कर रहा था. “महिपाल द्वितीय” का 955 ई. का बयाना अभिलेख मिला है जो महाराजाधिराज महीपाल देव का उल्लेख करता है. इसे महीपाल द्वितीय समझाना चाहिए.
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महेन्द्रपाल द्वितीय FAQ
Ans महिपाल की मृत्यु के बाद उसका पुत्र महेन्द्रपाल द्वितीय सिंहासन पर बैठा था.
Ans महिपाल की माता का नाम प्रसाधना था.
Ans घोटावर्षिका का चौहान इन्द्रराज का सामंत था.
Ans महेंद्रापाल के बाद प्रतिहार वंश में चार शासक हुए थे.
Ans महेंद्रापाल के बाद प्रतिहार वंश के शासक हुए थे-देवपाल, विनायकपाल द्वितीय, महिपाल द्वितीय तथा विजयपाल.
Ans देवपाल का शिलालेख 948 का मिलता है.
Ans देवपाल परमभट्टारक, महाराजाधिराज तथा परमेश्वर की उपाधि से विभूषित था.
Ans सियोडोनी अभिलेख से प्रकट होता है की क्षितिपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल सिंहासन पर बैठा था.
Ans “विनायकपाल द्वितीय का नाम 954 ई. के खजुराहो अभिलेख से प्राप्त होता है.
Ans “महिपाल द्वितीय” का उल्लेख 955 ई. के बयाना अभिलेख मिला है.
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