महाराणा जगतसिंह द्वितीय | संग्रामसिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद जगतसिंह द्वितीय ने 1734 ई. में मेवाड़ की सत्ता संभाली। मराठों ने इन्हीं के शासन में मेवाड़ में पहली बार प्रवेश कर इनसे कर वसूल किया
महाराणा जगतसिंह द्वितीय
संग्रामसिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद जगतसिंह द्वितीय ने 1734 ई. में मेवाड़ की सत्ता संभाली। इसके समय अफगान आक्रमणकारी नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण कर उसे लूटा। मराठों ने इन्हीं के शासन में मेवाड़ में पहली बार प्रवेश कर इनसे कर वसूल किया। जगतसिंह द्वितीय ने पिछोला झील में जगतनिवास महल बनवाया।
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इनके दरबारी कवि नेकराम ने ‘जगतविलास’ ग्रंथ लिखा। इन्होंने मराठों के विरुद्ध राजस्थान के राजाओं को संगठित करने के उद्देश्य से 17 जुलाई, 1734 ई. को हुरड़ा (भीलवाड़ा) नामक स्थान पर राजपूताना राजाओं का सम्मेलन आयोजित कर एक शक्तिशाली मराठा विरोधी मंच बनाया। (हुरड़ा सम्मेलन की चर्चा कच्छवाहा राजवंश में की गई है।) इसके शासन काल में पेशवा बाजीराव प्रथम मेवाड़ आया और चौथ वसूलने का समझौता किया।
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महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने माधोसिंह को जयपुर का राज्य दिलाने के लिए जयपुर के उत्तराधिकार संघर्ष में हस्तक्षेप किया।
राणा जगतसिंह द्वितीय के बाद महाराणा प्रतापसिंह (1751-1754 ई.), महाराणा राजसिंह द्वितीय (1754-1761 ई.), महाराणा अरिसिंह द्वितीय (1761-1773 ई.) और महाराणा हमीर सिंह द्वितीय (1773-1778 ई.) हुए।
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महाराणा जगतसिंह द्वितीय FAQ
Ans – संग्रामसिंह द्वितीय की मृत्यु के बाद जगतसिंह द्वितीय ने मेवाड़ की सत्ता संभाली.
Ans – जगतसिंह द्वितीय का राज्याभिषेक 1734 ई. में हुआ था.
Ans – मराठों ने जगतसिंह द्वितीय के शासन में मेवाड़ में पहली बार प्रवेश कर इनसे कर वसूल किया।
Ans – ‘जगतविलास’ ग्रंथ कवि नेकराम द्वारा लिखा गया है.
Ans – हुरड़ा सम्मलेन 17 जुलाई, 1734 ई. को हुआ था.
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