महाराणा फतेहसिंह | महाराणा फतेह सिंह शिवरती के महाराज दलसिंह का पुत्र था। 1899 ई. में मेवाड़ में भीषण अकाल पड़ा। महाराणा का उत्तराधिकारी भूपाल सिंह था
महाराणा फतेहसिंह
महाराणा फतेहसिंह शिवरती के महाराज दलसिंह का पुत्र था। इन्होंने उदयपुर में 1889 ई. में सज्जन निवास बाग में वॉल्टरकृत राजपूत हितकारिणी सभा की स्थापना कर राजपूतों में बहुविवाह, बालविवाह एवं फिजूलखर्ची को रोकने का प्रबंध किया।
महाराणा ने एक विशाल बांध का निर्माण करवाया। ब्रिटेन राजकुमार के हाथों नींव रखवाकर उसका नाम केनॉट बांध रखा। राजकुमार के आग्रह पर बाद में इसका नाम फतहसागर रखा गया। 1899 ई. (विक्रम संवत् 1956-छप्पन्या) में मेवाड़ में भीषण अकाल पड़ा।
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महाराणा द्वारा राहत के उपाय किये गए, मगर ये अपर्याप्त रहे, जिससे मेवाड़ की आबादी 18,45,008 से घटकर 10,18,805 रह गई। भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड कर्जन ने सम्राट एडवर्ड सप्तम के लन्दन में राजतिलक के अवसर पर दिल्ली में 1 जनवरी 1903 ई. में एक बड़े राजदरबार का आयोजन किया। मेवाड़ के महाराणा फतेहसिंह को भी इस अवसर पर वायसराय के दरबार में शामिल होने के लिए दिल्ली जाना पड़ा।
प्रसिद्ध क्रान्तिकारी केसरीसिंह बारहठ को यह गवारा नहीं गुजरा। इस अवसर पर उन्होंने डिंगल भाषा में 13 सोरठे लिखकर महाराणा को भेजें। ये सोरठे ‘चेतावनी रा चुंगटिए’ नाम से विख्यात हुए। बारहठ के सोरठे पढ़कर महाराणा दिल्ली पहुंचकर भी दरबार में सम्मिलित नहीं हुए। जब कर्जन का दरबार चल रहा था तो ठीक उसी समय महाराणा की स्पेशल ट्रेन उन्हें लेकर चित्तौड़ की ओर दौड़ रही थी।
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दिसम्बर, 1911 में सम्राट जार्ज पंचम के भारत आने के अवसर पर उनके सम्मान में वायसराय ने दिल्ली में दरबार का आयोजन किया। महाराणा फतेहसिंह दिल्ली तो पहुँचे पर स्टेशन पर ही सम्राट से हाथ मिलाकर लौट आए। उन्हें बारहठजी के ‘चेतावनी रा चुंगटिए’ पुनः स्मरण हो आए।
इनके समय बिजौलिया ठिकाने के जागीरदार के शोषण से परेशान वहां के किसानों ने आंदोलन किया। मगर महाराणा तक सही सूचना न पहुंचने तथा अपनी कमजोर स्थिति के कारण वह किसानों को कोई राहत प्रदान न कर सके। महाराणा फतेहसिंह के कार्यों से अंग्रेज सरकार खुश नहीं थी। अतः 1921 ई. में इनसे राज्य कार्य का अधिकार लेकर महाराज कुमार भूपालसिंह को सौंप दिया गया।
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महाराणा फतेहसिंह FAQ
Ans – महाराणा फतेहसिंह शिवरती के महाराज दलसिंह का पुत्र था।.
Ans – उदयपुर में सज्जन निवास बाग में वॉल्टरकृत राजपूत हितकारिणी सभा की स्थापना फ़तेह सिंह ने की थी.
Ans – वॉल्टरकृत राजपूत हितकारिणी सभा की स्थापना 1889 ई. को की गई थी.
Ans – मेवाड़ में महाराणा फ़तेह सिंह के काल में 1899 ई. को भीषण अकाल पड़ा था.
Ans – महाराणा फ़तेह सिंह से राज कार्य का अधिकार 1921 ई. को लेकर भूपाल सिंह को सौंप दिया गया था.
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