महाराणा अमरसिंह प्रथम

महाराणा अमरसिंह प्रथम | राणा प्रताप के बाद उनका पुत्र अमरसिंह मेवाड़ का राणा बना। राणा अमरसिंह का राज्याभिषेक 19 जनवरी, 1597 को नई राजधानी चावण्ड में हुआ

महाराणा अमरसिंह प्रथम

राणा प्रताप के बाद उनका पुत्र अमरसिंह मेवाड़ का राणा बना। राणा अमरसिंह का राज्याभिषेक 19 जनवरी, 1597 को नई राजधानी चावण्ड में हुआ। महाराणा अमरसिंह के काल को ‘राजपूत काल का अभ्युदय’ कहा जाता है। अकबर से राणा अमरसिंह का भी प्रतिरोध जारी रहा।

हरिदास झाला को सम्पूर्ण सैन्य संचालन का काम देकर सैन्य शासन का एक अलग विभाग बना दिया। अमरसिंह को अपने राज्य की व्यवस्था में लगे लगभग दो वर्ष ही हुए थे कि अकबर के आदेश से 1599 ई. में मेवाड़ पर सलीम ने आक्रमण कर दिया। इस बार सलीम इस संबंध में अधिक उत्साही नहीं था, अतः वह थोड़े समय उदयपुर जाकर लौट गया।

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अब राणा ने एक-एक कर मुगल थानों पर आक्रमण करने आरम्भ किये। जब अकबर ने इस प्रकार मुगलों की क्षति के समाचार सुने तो सलीम को 1603 ई. में दुबारा मेवाड़ की ओर जाने को कहा, परन्तु सलीम ने इस बार भी कोई ध्यान नहीं दिया।

महाराणा अमरसिंह प्रथम
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मुगल आक्रमणों का पुनः आरम्भ :

जब सलीम 1605 ई. में स्वयं सम्राट बन गया तो उसने अपने पिता की नीति के अनुसरण के आधार पर परवेज, आसिफखाँ, जफरबेग और सगर के साथ 22,000 घुड़सवारों को मेवाड़ अभियान के लिए भेजा। तुज़ुक-ए-जहाँगीरी के वर्णन से मालूम होता है कि इस बार सम्राट को कोई आशाजनक सफलता नहीं मिली। 1608 ई. में उसने महाबतखाँ के नेतृत्व में मेवाड़ की ओर सेना भेजी।

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महाबतखाँ तंग आकर सगर को चित्तौड़ तथा नारायणदास कच्छवाहा को माण्डल में छोड़कर लौट गया। 1609 ई. तथा 1612 ई. में अब्दुल्ला और राजा बासू क्रमशः मेवाड़ के विरुद्ध भेजे गये। इनके प्रयत्न से राणा को चावण्ड और मेरपुर को तो छोड़ना पड़ा, परन्तु छापे मारकर उन्होंने मुगलों की हालत शोचनीय बना दी। जहाँगीर ने नवम्बर, 1613 में मेवाड़ की ओर स्वयं कूंच किया तथा अजमेर में शाही कैम्प लगाया। शाहजादा खुर्रम (बाद में शाहजहाँ) को एक बड़ी सेना लेकर मेवाड़ विजय के लिए भेजा।

जहाँगीर 1613 ई. में अजमेर पहुँचा और खुर्रम को मेवाड़ अभियान का सर्वेसर्वा बनाया। दो वर्ष की अवधि में खुर्रम ने राणा को चावण्ड के पहाड़ों में जा घेरा और जितने मुगल थाने उनके हाथ से निकल गये थे उन पर फिर से अपना अधिकार स्थापित कर लिया। राज्य की हालत दुष्काल से भी अधिक भयंकर बन गयी। अब तक मेवाड़ युद्धों के कारण जर्जर हो चुका था। अतः सभी सामंतों, दरबारियों एवं कुंवर कर्णसिंह के निवेदन पर राणा अमरसिंह ने अपना मन मारकर मुगलों से फरवरी, 1615 ई. में संधि की हामी भर दी।

अमरसिंह मुगलों से संधि करने वाला मेवाड़ का प्रथम शासक था। संधि वार्ता के लिए मुगलों की ओर से शीराजी एवं सुन्दरदास तथा राणा की ओर से हरिदास झाला एवं शुभकर्ण सम्मिलित हुए। वार्ता दल ने आसान शर्तों पर एक संधि का मसौदा तैयार किया, जिसे ‘मुगल-मेवाड़ संधि’ कहते हैं।

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महाराणा अमरसिंह प्रथम FAQ

Q 1. राणा प्रताप के बाद मेवाड़ का राणा कौन बना?

Ans – राणा प्रताप के बाद उनका पुत्र अमरसिंह मेवाड़ का राणा बना.

Q 2. राणा अमरसिंह का राज्याभिषेक कब हुआ था?

Ans – राणा अमरसिंह का राज्याभिषेक 19 जनवरी, 1597 को हुआ था.

Q 3. राणा अमरसिंह का राज्याभिषेक कहाँ हुआ था?

Ans – राणा अमरसिंह का राज्याभिषेक नई राजधानी चावण्ड में हुआ था.

Q 4. महाराणा अमरसिंह के काल को क्या कहा जाता है?

Ans – महाराणा अमरसिंह के काल को ‘राजपूत काल का अभ्युदय’ कहा जाता है.

Q 5. राणा अमरसिंह ने अपना मन मारकर मुगलों से कब संधि की हामी भर दी थी?

Ans – राणा अमरसिंह ने अपना मन मारकर मुगलों से फरवरी, 1615 ई. में संधि की हामी भर दी.

Q 6. मुगलों से संधि करने वाला मेवाड़ का प्रथम शासक कौन था?

Ans – अमरसिंह मुगलों से संधि करने वाला मेवाड़ का प्रथम शासक था.

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