महाराजा अजीत सिंह | महाराजा जसवंतसिंह की गर्भवती रानी जसवन्तदे (जसकुंवरी) ने 19 फरवरी, 1679 को राजकुमार अजीत सिंह को लाहौर में जन्म दिया। अजीतसिंह धर्मपरायण राजा थे
महाराजा अजीत सिंह
महाराजा जसवंतसिंह की गर्भवती रानी जसवन्तदे (जसकुंवरी) ने 19 फरवरी, 1679 को राजकुमार अजीत सिंह को लाहौर में जन्म दिया। वीर दुर्गादास एवं अन्य राठौड़ सरदारों ने मिलकर औरगजेब से राजकुमार अजीतसिंह को जोधपुर का शासक घोषित करने की मांग की। परंतु औरंगजेब ने इसे टाल दिया और कहा कि राजकुमार के वयस्क हो जाने पर उन्हें राजा बना दिया जायेगा। इसके पश्चात् औरंगजेब ने राजकुमार एवं रानियों को परवरिश हेतु दिल्ली अपने पास बुलवा लिया। वहाँ इन्हें रूपसिंह राठौड़ की हवेली में ठहराया गया।
औरंगजेब की मंशा राजकुमार को समाप्त कर जोधपुर राज्य को हमेशा के लिए हड़पने की वीर दुर्गादास औरंगजेब की मंशा को समझ गये और वे अन्य सरदारों के साथ मिलकर चतुरता राजकुमार अजीतसिंह एवं रानियों को ‘बाघेली’ नामक महिला की मदद से औरंगजेब के चंगुल से बाहर निकाल लाये। वीर दुर्गादास, गोरा धाय तथा मुकुंददास खींची ने इन्हें चुपके से दिल्ली से निकाल कर सिरोही राज्य के कालिन्द्री मंदिर में छिपा दिया। अजीत सिंह का पालन-पोषण गौरा धाय ने किया जिसे मारवाड़ की पन्ना धाय’ भी कहा जाता है।
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जयदेव नामक ब्राह्मण के घर पर उनकी परवरिश की तथा वयस्क होने पर प्रकट किया। इस कार्य में मेवाड़ महाराणा राजसिंह सिसोदिया ने बड़ी सहायता की दिल्ली में एक अन्य बालक को नकली अजीत सिंह के रूप में रखा। बादशाह औरंगजेब ने बालक को असली अजीतसिंह बताते हुए उसका नाम ‘मोहम्मदीराज’ रखा।
औरंगजेब ने जोधपुर को पुनः खालसा घोषित कर दिया। चारों ओर कत्लेआम मचाया तथा मंदिरों को नष्ट-भ्रष्ट किया और उनकी जगह मस्जिदों का निर्माण किया।
राठौड़-सिसोदिया संघ
अब राठौड़ों ने लुकाछिपी की युद्ध प्रणाली को प्रधानता देकर मुगलों को छकाना शुरू किया। सर जदुनाथ सरकार ने हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब III’ में लिखा है कि लुकाछिपी प्रणाली के साथ ही राठौड़-सिसोदिया संघ का निर्माण हुआ। अजीतसिंह की मां जो राणा की संबंधी थी, उसके कारण राणा राजसिंह सिसोदिया इस युद्ध में कूद पड़ा। साथ ही मारवाड़ का विध्वंस मेवाड़ के लिए भी भारी था। इस प्रकार मुगलों के विरुद्ध दो मोर्चे खोले गए एक मोर्चा मेवाड़ और दूसरा मारवाड़ में था।
मेवाड़ महाराणा राजसिंह ने अजीतसिंह के निर्वाह के लिए दुर्गादास को केलवा की जागीर-प्रदान की। दुर्गादास के प्रयत्नों से इन्हें 1707 में फिर से मारवाड़ राज्य प्राप्त हो गया किंतु कुछ समय बाद ही अजीतसिंह ने दुर्गादास को देश निकाला दे दिया। दुर्गादास प्रकरण के अतिरिक्त महाराजा पर कोई आक्षेप नहीं है। उन्हें विवश होकर अपनी पुत्री इन्द्रकुँवरी का विवाह मुगल बादशाह फर्रूखशियर से करना पड़ा किंतु अवसर पाकर उन्होंने फर्रुखशियर की हत्या में प्रमुख भूमिका निभाई और अपनी पुत्री को विधवा करके जोधपुर ले.. आये। उन्होंने इन्द्रकुंवरी का फिर से हिन्दूधर्म में शुद्धिकरण किया और उसका विवाह एक क्षत्रिय युवक से कर दिया।
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देवारी समझौता
मारवाड़ के राजकुमार अजीतसिंह, राजा सवाई जयसिंह कच्छवाहा व मेवाड़ महाराणा अमरसिंह द्वितीय के मध्य देबारी में समझौता हुआ जिसके अनुसार अजीतसिंह को मारवाड़ तथा सवाई जयसिंह को आमेर में पदस्थापित करने व महाराणा अमरसिंह की पुत्री का विवाह सवाई जयसिंह से करने और इस विवाह से जन्म लेने वाले पुत्र को सवाई जयसिंह का उत्तराधिकारी घोषित करने पर सम्मति बनी।
अजीतसिंह धर्मपरायण राजा थे। उन्होंने ‘गुणसागर’, ‘दुर्गापाठ भाषा’, ‘निर्वाण दूहा’, ‘अजीतसिंह रा कहया दूहा’ तथा ‘गज उद्धार’ नामक ग्रंथों की रचना की। महाराजा के लिखे हुए कई गीत भी मिलते हैं। 23 जुलाई, 1724 को महाराजा अजीतसिंह की पुत्र बख्तसिंह ने हत्या कर दी। इस हत्या में जयपुर नरेश जयसिंह तथा अजीतसिंह के बड़े पुत्र अभयसिंह का भी हाथ था। अजीतसिंह के साथ 6 रानियां, 20 दासियां, 9 उड़दा बेगणियां, 20 गायनें तथा 2 हजूरी बेगमें सती हुई। गंगा नाम की पड़दायत भी राजा के साथ जलाई गयी उसकी भी राजा के साथ हत्या हुई।
तत्कालीन इतिहासकारों का कहना है कि महाराजा की चिता में कई मोर तथा बंदर भी अपनी इच्छा से जलकर भस्म हुए। वह दिन जोधपुर में बड़े शोक, संताप और हा-हा कार का दिन था। इतिहासकार डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने जहां एक ओर उसकी प्रशंसा की है वहीं दूसरी ओर राजा अजीत सिंह को अभिमानी, अत्याचारी, कृतघ्न और कान का कच्चा’ कहा है।
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महाराजा अजीत सिंह FAQ
Ans – राजकुमार अजीत सिंह के पिता का नाम महाराजा जसवंतसिंह था.
Ans – राजकुमार अजीत सिंह की माता का नाम रानी जसवन्तदे था.
Ans – राजकुमार अजीत सिंह का जन्म 19 फरवरी, 1679 ई. को हुआ था.
Ans – राजकुमार अजीत सिंह का जन्म लाहौर में हुआ था.
Ans – महाराजा अजीतसिंह की हत्या 23 जुलाई, 1724 को कर दी गई थी.
Ans – महाराजा अजीतसिंह की हत्या उनके पुत्र बख्तसिंह ने की थी.
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