हाड़ी रानी का बलिदान

हाड़ी रानी का बलिदान | हाड़ी रानी हाड़ा वंश की राजकुमारी सहल कंवर सलूम्बर के युवा सामन्त रतनसिंह चुंडावत की नवविवाहिता पत्नी थी

हाड़ी रानी का बलिदान

हाड़ी रानी हाड़ा वंश की राजकुमारी सहल कंवर सलूम्बर के युवा सामन्त रतनसिंह चुंडावत की नवविवाहिता पत्नी थी। रतनसिंह चुंडावत मेवाड़ के महाराणा राजसिंह सिसोदिया का सामंत था। महाराणा राजसिंह का विवाह चारूमति से होने वाला था, उसी समय औरंगजेब अपनी सेना लेकर मेवाड़ की ओर बढ़ा।

यह भी देखे :- महाराणा फतेहसिंह

विवाह होने तक मुगल सेना को रोकने की जिम्मेदारी नवविवाहित राव रतनसिंह चुंडावत ने ली। जब वह युद्ध के मैदान में जा रहा था तो जाते हुए अपनी पत्नी की याद सताने लगी। चूंडावत ने अपने सेवक को भेजकर रानी से सैनाणी (निशानी) लाने को कहा ताकि युद्ध के मैदान में उसकी याद न सताएं। रानी ने सोचा कि मेरी यादों के कारण वे अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर पायेंगे। अतः मैं कर्त्तव्य में बाधक क्यों बनूं।

हाड़ी रानी का बलिदान
हाड़ी रानी का बलिदान
यह भी देखे :- महाराणा सज्जनसिंह

हाड़ी रानी ने सेवक के हाथ से तलवार लेकर अपना सिर काट डाला। सेवक ने रानी का कटा सिर थाल में रखा और चूंडावत को भेंट किया। चूंडावत की भुजाएं फड़क उठी। और शत्रुदल पर टूट पड़ा। हाड़ा सरदार के मोह के सारे बंधन टूट चुके थे। वह शत्रु पर टूट पड़ा।

इतना अप्रतिम शौर्य दिखाया था कि उसकी मिसाल मिलना बड़ा कठिन है। जीवन की आखिरी सांस तक वह लंड़ता रहा। औरंगजेब की सहायक सेना को उसने आगे नहीं ही बढऩे दिया, जब तक मुगल बादशाह मैदान छोड़कर भाग नहीं गया था। राव रतनसिंह चुंडावत युद्ध में विजयी रहा लेकिन वीरगति को प्राप्त हुआ।

यह भी देखे :- महाराणा स्वरूपसिंह

हाड़ी रानी का बलिदान FAQ

Q 1. हाड़ी रानी किस वंश की राजकुमारी थी?

Ans – हाड़ी रानी हाड़ा वंश की राजकुमारी थी.

Q 2. हाड़ी रानी किसकी नवविवाहिता पत्नी थी?

Ans – हाड़ी रानी सहल कंवर सलूम्बर के युवा सामन्त रतनसिंह चुंडावत की नवविवाहिता पत्नी थी.

Q 3. रतनसिंह चुंडावत किसका सामंत था?

Ans – रतनसिंह चुंडावत मेवाड़ के महाराणा राजसिंह सिसोदिया का सामंत था.

Q 4. मेवाड़ के महाराणा राज सिंह के विवाह संपन्न होने तक मुग़ल सेना को रोकने की जिम्मेदारी किसने लि थी?

Ans – मेवाड़ के महाराणा राज सिंह के विवाह संपन्न होने तक मुग़ल सेना को रोकने की जिम्मेदारी नवविवाहित राव रतनसिंह चुंडावत ने ली थी.

आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.. यदि आपको हमारा यह आर्टिकल पसन्द आया तो इसे अपने मित्रों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों के साथ शेयर करना मत भूलना ताकि वे भी इस आर्टिकल से संबंधित जानकारी को आसानी से समझ सके.

यह भी देखे :- महाराणा भीमसिंह

Follow on Social Media


केटेगरी वार इतिहास


प्राचीन भारतमध्यकालीन भारत आधुनिक भारत
दिल्ली सल्तनत भारत के राजवंश विश्व इतिहास
विभिन्न धर्मों का इतिहासब्रिटिश कालीन भारतकेन्द्रशासित प्रदेशों का इतिहास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *