बांसवाड़ा का गुहिल राजवंश | कहा जाता है कि बाँसवाड़ा राज्य के संस्थापक जगमाल ने बांसना अथवा वासना नामक भील को मारकर इसकी स्थापना की व उसी के नाम पर नगर का नाम बाँसवाड़ा पड़ा
बांसवाड़ा का गुहिल राजवंश
कहा जाता है कि बाँसवाड़ा राज्य के संस्थापक जगमाल ने बांसना अथवा वासना नामक भील को मारकर इस नगर की स्थापना की और उसी के नाम पर नगर का नाम बाँसवाड़ा पड़ा। किन्तु जगमाल पूर्व के एक शिलालेख में बाँसवाड़ा ग्राम का उल्लेख हुआ है।
इससे अधिक सम्भावना इस बात की भी लगती है कि बाँस बहुल क्षेत्र होने के कारण भी यह इलाका बाँसवाड़ा कहलाया। 10वीं सदी में यहाँ परमारों का वर्चस्व था। परमारों की राजधानी ‘उत्थुनका’ अथवा अर्धूना थी, जिसे उन्होंने मंदिरों से सुशोभित किया।
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1527 ई. में वागड़ के गुहिल शासक महारावल उदयसिंह की मृत्यु के बाद बाँसवाड़ा उसके पुत्र जगमाल के हिस्से में आया। इसने बाँसवाड़ा में भीलेश्वर महादेव मंदिर, फूलमहल एवं ‘बाई का तालाब’ बनवाये।
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समरसिंह को जब अकबर ने मेवाड़ पर अपने थाने बिठा दिये तब बाँसवाड़ा ने मुगल अधीनता स्वीकार कर ली। महारावल समरसिंह ने बादशाह जहाँगीर के पास माण्डू में उपस्थित हो बाँसवाड़ा को मेवाड़ से स्वतन्त्र करवा लिया।
औरंगजेब ने कुशलसिंह के नाम फरमान देकर पुनः बाँसवाड़ा को मेवाड़ से पृथक् कर दिया और उसे गुजरात के सूबे के साथ जोड़ दिया। इसके वंशज उम्मेदसिंह ने 1818 ई. में अंग्रेजों से संधि कर ली और सुरक्षा का भार ईस्ट इण्डिया कम्पनी पर आ गया।
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बांसवाड़ा का गुहिल राजवंश FAQ
Ans – बाँसवाड़ा राज्य के संस्थापक जगमाल है.
Ans – जगमाल ने बांसना अथवा वासना नामक भील को मारकर बांसवाड़ा नगर की स्थापना की थी.
Ans – बांसवाड़ा नगर का नाम बांसवाड़ा ‘बाँस बहुल क्षेत्र होने के कारण’ रखा गया है.
Ans – 10वीं सदी में बांसवाड़ा पर परमार वंशीय शासकों का वर्चस्व था.
Ans – वागड़ के गुहिल शासक महारावल उदयसिंह की मृत्यु 1527 ई. में हुई थी.
Ans – उम्मेदसिंह ने 1818 ई. में अंग्रेजों से संधि कर ली थी.
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