गणगौर का पर्व

गणगौर का पर्व | भारत में कई प्रकार के त्यौहार प्रचलित है, इनमें से एक गणगौर भी है. यह हिन्दू मास के अनुसार चैत्र मास में मनाया जाता है

गणगौर का पर्व

भारत में कई प्रकार के त्यौहार प्रचलित है, इनमें से एक गणगौर भी है. यह हिन्दू मास के अनुसार चैत्र मास में मनाया जाता है. यह त्यौहार चैत्र शुक्ला तृतीया को मनाया जाता है. यह सौभाग्य तृतीया’ के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह सुहागिन स्त्रियों का सर्वाधिक प्रिय त्यौहार है। यह शिव व पार्वती के अखंड प्रेम का प्रतीक पर्व है। गणगौर में ‘गण’ महादेव का व ‘गौर’ पार्वती का प्रतीक है।

इस दिन कुकुंवारी कन्याएँ मनपसंद वर प्राप्ति का तथा सुहागन स्त्रियाँ अपने अखंद सौभाग्य को कामना करती हैं। चैत्र कृष्णा प्रतिपदा से ही गणगौर पूजन आरम्भ हो जाता है व चैत्र शुक्ला तृतीया तक यह क्रम चलता रहता है। इस दिन गणगौर माता की सवारी निकाली जाती है। जयपुर व उदयपुर की गणगौर प्रसिद्ध हैं। गणगौर के मेले में ऊँटों व घोड़ों की दौड़ मुख्य रूप से होती है। कहावत भी है “गणगौरियां ने ही घोड़ा नहीं दौड़ेला तो दौड़ेला कद”। गणगौर का त्यौहार राजस्थानी त्यौहारों में सबसे अधिक गीतों वाला त्यौहार है।

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गणगौर का पर्व FAQ

Q 1. गणगौर का त्यौहार कब मनाया जाता है?

Ans – मनागौर का त्यौहार चैत्र शुक्ला तृतीया को मनाया जाता है.

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