दुल्हराय: ढूंढाड़ राज्य की स्थापना | ढूंढाड़ शब्द से धूल भरा रेगिस्तान अभिव्यजित है, जो दूर-दूर तक अपने शुष्क भू-भाग लिए फैला हुआ है। एक अन्य धारणा के अनुसार ढूंढाड़ नाम एक राक्षस के नाम पर पड़ा है
दुल्हराय: ढूंढाड़ राज्य की स्थापना
डॉ. जे.पी. स्ट्रेटन के कथन के अनुसार ढूंढाड़ शब्द से धूल भरा रेगिस्तान अभिव्यजित है, जो दूर-दूर तक अपने शुष्क भू-भाग लिए फैला हुआ है। एक अन्य धारणा के अनुसार ढूंढाड़ नाम एक राक्षस के नाम पर पड़ा है। गलता की एक गुफा ढूंढ़ राक्षस का निवास मानी जाती है।
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इसके अतिरिक्त इस राज्य में ढूँढ नदी भी है। कर्नल टॉड इस शब्द को प्रसिद्ध यज्ञीय टीले के नाम से निसृत मानते हैं। एक मान्यता के अनुसार अजमेर के प्रतापी शासक बीसलदेव चौहान ने दौसा क्षेत्र में अपने शत्रुओं को पराजित किया तथा ढूँढ-ढूँढ़ कर उनका विनाश किया। इसी कारण इस भू-भाग का नाम कालान्तर में ढूंढाड़ पड़ा।

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राजा नल की संतति ने ही ढूँढाड़ राज्य पर शासन किया। नल की 21वीं पीढ़ी में 33वें शासक ग्वालियर नरेश सोढ़देव थे। सोढ़देव के पुत्र दूलेराम (दुल्हराय) का विवाह मौरा के चौहान शासक रालपसी की कन्या सुजान कंवर के साथ हुआ था। 10वीं शताब्दी में दौसा नगर पर दो राजवंश चौहान राजवंश और बड़गुर्जर राज्य कर रहे थे। चौहान राजवंश ने अपनी सहायता के लिए ग्वालियर से अपने जमाता दुल्हराय को आमंत्रित किया।
दुल्हराय ने धोखे से बड़गुर्जरों को हराकर ढूँढाड़ का शासन अपने पिता सोढ़देव को सौंप दिया। सोढ़देव ने 996 ई. से 1006 ई. तक तथा दुल्हराय ने 1006 ई. से 1035 ई. तक ढूँढाड़ पर शासन किया। दौसा के पश्चात् कच्छवाहा नरेशों ने जमवारामगढ़ को दूसरी राजधानी बनाया।
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दुल्हराय: ढूंढाड़ राज्य की स्थापना FAQ
Ans – ढूंढाड़ शब्द से तात्पर्य है की धूल भरा रेगिस्तान अभिव्यजित है, जो दूर-दूर तक अपने शुष्क भू-भाग लिए फैला हुआ है.
Ans – राजा नल की संतति ने ही ढूँढाड़ राज्य पर शासन किया था.
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