भावसिंह कछवाहा | महाराजा मानसिंह के बाद आमेर का शासक उनका छोटा पुत्र भावसिंह बना था. भावसिंह सन् 6 जुलाई 1614 ई. को आमेर की राजगद्दी पर बैठा
भावसिंह कछवाहा
हनुमान शर्मा (जयपुर का इतिहास, 1937) के अनुसार महाराजा मानसिंह के पीछे उनके बड़े बेटे जगतसिंह आमेर के राजा होते किंतु इनका असमय में अंत हो जाने से आमेर के सामन्तों की इच्छा से जगतसिंहजी के बड़े बेटे महासिंह दक्षिण में और बादशाह की कृपा से मानसिंह के छोटे बेटे भावसिंह आमेर में राजा हुए। इस प्रकार एक साथ राजा होने का अपूर्व अवसर था और दोनों के लिए शाही सिरोपाव भेजा गया।
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जहांगीर ने मानसिंह की मृत्यु हो जाने पर राजपूतों की रीतिरस्म के विरुद्ध महासिंह के बदले भावसिंह को जयपुर की राजगद्दी का हकदार मान लिया। उसे ‘मिर्जा राजा’ की पदवी दी और 4 हजारी जात और तीन हजारी मनस दे दी।
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महासिंह को प्रसन्न करने के लिए उसे मांडू की जागीर व मनसब में वृद्धि कर दी। महासिंह 1617 तक दक्षिण में ही रहा और वहीं अधिक मदिरा पान के कारण मई, 1617 में उसका देहान्त हो गया।
भावसिंह सन् 1614 की 6 जुलाई को आमेर की राजगद्दी पर बैठा। अकबर के समय में इसको 1 हजार का मनसब, जहांगीर के राजगद्दी पर बैठने पर 2 हजार का मनसब व स्वयं के राजगद्दी पर बैठने पर उसका मनसब 4 हजार जात व सवार का कर दिया गया। बाद में 5 हजार का मनसब देकर जहांगीर ने इसे शहजादा खुर्रम के साथ दक्षिण भेज दिया जहां वह अपनी मृत्यु 19 दिसम्बर 1621 तक रहा।
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भावसिंह कछवाहा FAQ
Ans – महाराजा मानसिंह के बाद आमेर का शासक उनका छोटा पुत्र भावसिंह बना था.
Ans – भावसिंह का राज्याभिषेक 6 जुलाई 1614 ई. को किया गया था.
Ans – महासिंह की मृत्यु मई, 1617 ई. को हुई थी.
Ans – भावसिंह की मृत्यु 19 दिसम्बर 1621 ई. को हुई थी.
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