बारी का युद्ध

बारी का युद्ध | सुल्तान ने ‘मियाँ हुसैन फरमूली’ तथा ‘मियाँ माखन’ के साथ महती सेना को राणा के विरुद्ध पहली पराजय का बदला लेने भेजा

बारी का युद्ध

सुल्तान ने ‘मियाँ हुसैन फरमूली’ तथा ‘मियाँ माखन’ के साथ महती सेना को राणा सांगा के विरुद्ध पहली पराजय का बदला लेने भेजा। फारसी तवारीखों में मियाँ हुसैन का इस अवसर पर राणा से मिल जाना और फिर मियाँ माखन के पत्र से सुल्तान की सेना का सहयोगी बनना, आदि वर्णन लिखा है। इनमें इस युद्ध में राणा की हार होना भी उल्लिखित है, परन्तु बाबर ने धौलपुर की लड़ाई में राजपूतों की विजय होना लिखा है।

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महाराणा सांगा ने धौलपुर के पास ‘बारी’ नामक स्थान पर 1518 ई. में इब्राहिम लोदी के सेनानायकों को पराजित किया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप लोदी सुल्तान की शक्तिहीनता स्पष्ट हो गई और राणा सांगा की महत्त्वाकांक्षा को बल मिला। इन विजयों से उत्तरी भारत का नेतृत्व भी उसे प्राप्त हो गया।

दिल्ली के शासक को परास्त करने से राजनीतिक धुरी मेवाड़ की ओर घूम गयी और सभी शक्तियाँ देशी और विदेशी, सांगा की शक्ति को मान्यता देने लगी। मेवाड की शक्ति की यह चरम सीमा थी।

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बारी का युद्ध FAQ

Q 1. बारी का युद्ध कब हुआ था?

Ans – इस युद्ध 1518 ई. में हुआ था.

Q 2. यह युद्ध किन-किन के मध्य हुआ था?

Ans – यह युद्ध महाराणा सांगा और इब्राहिम लोदी के सेनानायकों के मध्य हुआ था.

Q 3. यह युद्ध कहाँ हुआ था?

Ans – यह युद्ध धौलपुर के पास ‘बारी’ नामक स्थान पर हुआ था.

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