आरण्यक ग्रन्थ क्या है | what is Aranyak Granth

आरण्यक ग्रन्थ क्या है | what is Aranyak Granth | आरण्यक में यज्ञ से जुड़े कर्मकांडों की दार्शनिक व प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति की है | आरण्यक हिन्दू धर्म के पवित्र व सर्वोच्च ग्रन्थ है | यह गद्य खंड में लिखा गया है

आरण्यक ग्रन्थ क्या है

आरण्यक में यज्ञ से जुड़े कर्मकांडों की दार्शनिक व प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति की है. आरण्यक हिन्दू धर्म के पवित्र व सर्वोच्च ग्रन्थ है. यह गद्य खंड में लिखा गया है. यह वैदिक संहिताओं पर दिये भाष्य का दूसरा स्तर और वैदिक वाङ्मय का तीसरा हिस्सा है .

आरण्यक में दर्शन और ज्ञान की बातें लिखी हुई हैं व इसमें कर्मकाण्ड के बारे में कुछ भी नहीं लिखा हुआ है. वैदिक संस्कृत आरण्यक की भाषा है. मंत्र,वेद व ब्राह्मण का सम्मिलित अभिधान आरण्यक है.

आरण्यक ग्रन्थ क्या है | what is Aranyak Granth
आरण्यक ग्रन्थ क्या है | what is Aranyak Granth
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विशेषताएँ

  1. सायण के अनुसार इन ग्रंथों का अरण्य (जंगल) में अध्ययन किया जाता था इसी के कारण इस ग्रन्थ का नाम आरण्यक रखा गया था.
  2. आरण्यक का मुख्य विषय यज्ञभागों तदंतर्गत अनुष्ठानों की आध्यात्मिक मीमांसा है.
  3. यज्ञ का अनुष्ठान एक नितांत रहस्यपूर्ण व्यापार है व इस प्रतीक का पूरा विवरण आरण्यक ग्रंथो में दिया गया है.
  4. इन ग्रंथों में विशेष रूप से प्राणविद्या की महिमा का प्रतिपादन किया गया है.
  5. संहिता के मंत्रों में इस विद्या का बीज उपलब्ध है, किन्तु आरण्यकों में मंत्रों को पल्लवित किया गया है.
  6. उपनिषद् आरण्यक में संकेतित तथ्यों की व्याख्या करता हैं.
  7. इस साहित्य द्वारा संहिता से उपनिषदों के बीच की श्रृंखला पूर्ण की जाती है.

आरण्यक शब्द का मतलब

  • ब्राह्मण ग्रन्थों की अपेक्षा आरण्यक ग्रन्थों का आध्यात्मिक महत्त्व अधिक है.
  • आरण्यक अपने नाम से ही अरण्य या वन से सम्बंधित हैं.
  • जो अरण्य में पढ़ाया या पढ़ा जाए उसे ‘आरण्यक’ कहते हैं- अरण्ये भवम् आरण्यकम्.
  • प्रायः ब्राह्मणों के पश्चात आरण्यक ग्रन्थों का लेखन हुआ है क्योंकि इसमें दुर्बोध यज्ञ-प्रक्रियाओं को सूक्ष्म अध्यात्म से जोड़ा गया है.
  • संन्यासियों व वानप्रस्थियों के लिए ब्रह्मविद्या व आत्मतत्त्व के ज्ञान के लिए मुख्य रूप से इन ग्रन्थों क लेखन हुआ है-ऐसा माना जाता है।
  • आरण्यक ग्रन्थ वस्तुतः उपनिषदों के पूर्वरूप व ब्राह्मणों का परिशिष्ट भाग हैं.
  • उपनिषदों में जिन सृष्टि, आत्मविद्या व तत्त्वज्ञान विषयक गम्भीर दार्शनिक विषयों का प्रतिपादन है, का प्रारम्भ आरण्यकों में ही दिखलायी देती है.
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आरण्यक ग्रन्थ क्या है FAQ

Q 1. आरण्यक किस खंड में लिखा गया है?

Ans आरण्यक गद्य खंड में लिखा गया है.

Q 2. आरण्यक, वैदिक संहिताओं पर दिये भाष्य का कौनसा स्तर है?

Ans आरण्यक, यह वैदिक संहिताओं पर दिये भाष्य का दूसरा स्तर है.

Q 3. आरण्यक, वैदिक वाङ्मय का कौनसा हिस्सा है?

Ans आरण्यक, वैदिक वाङ्मय का तीसरा हिस्सा है.

Q 4. आरण्यक की भाषा क्या है?

Ans वैदिक संस्कृत आरण्यक की भाषा है.

Q 5. आरण्यक क्या है?

Ans मंत्र,वेद व ब्राह्मण का सम्मिलित अभिधान आरण्यक है.

Q 6. सायण के अनुसार आरण्यक ग्रंथों का अध्ययन कहाँ किया जाता था?

Ans सायण के अनुसार आरण्यक ग्रंथों का अरण्य (जंगल) में अध्ययन किया जाता था.

Q 7. आरण्यक का मुख्य विषय क्या है?

Ans आरण्यक का मुख्य विषय यज्ञभागों तदंतर्गत अनुष्ठानों की आध्यात्मिक मीमांसा है.

Q 8. आरण्यक अपने नाम से किससे सम्बंधित हैं?

Ans आरण्यक अपने नाम से अरण्य या वन से सम्बंधित हैं.

Q 9. जो अरण्य में पढ़ाया या पढ़ा जाए उसे क्या कहते हैं?

Ans जो अरण्य में पढ़ाया या पढ़ा जाए उसे ‘आरण्यक’ कहते हैं.

Q 10. आरण्यक ग्रंथों का लेखन मुख्य रूप से किसके लिए हुआ है?

Ans संन्यासियों व वानप्रस्थियों के लिए ब्रह्मविद्या व आत्मतत्त्व के ज्ञान के लिए मुख्य रूप से आरण्यक ग्रन्थों क लेखन हुआ है.

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