सवाई राजा शूरसिंह | मोटाराजा उदयसिंह की मृत्यु होने पर अकबर ने शूरसिंह को उसके कई बड़े भाइयों के होते हुए भी मारवाड़ का स्वामी स्वीकार किया
सवाई राजा शूरसिंह
मोटाराजा उदयसिंह की मृत्यु होने पर अकबर ने शूरसिंह को उसके कई बड़े भाइयों के होते हुए भी मारवाड़ का स्वामी स्वीकार किया। इनको टीका देने की रस्म लाहौर में संपादित की गई और इस अवसर पर इनका मनसब 2000 जात एवं 2000 सवार कर दिया गया। 1604 ई. में अकबर ने इसे ‘सवाई राजा’ की उपाधि से सम्मानित किया।
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जहाँगीर ने 1608 में शूरसिंह का मनसब बढ़ाकर 3000 जात/सवार कर दिया। सन् 1613 में जब शहजादा खुर्रम ने मेवाड़ अभियान किया तो शूरसिंह भी उसमें सम्मिलित थे।
जहाँगीर ने शूरसिंह का मनसब बढ़ाकर 5000 जात व 3000 सवार कर दिया। जिसमें और वृद्धि करके 5000 जात / 3300 सवार कर दिया गया। दक्षिण में रहते हुए 1619 ई. में महाराजा शूरसिंह की मृत्यु हो गई।
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सवाई राजा शूरसिंह FAQ
Ans – मोटाराजा उदयसिंह की मृत्यु होने पर अकबर ने शूरसिंह को उसके कई बड़े भाइयों के होते हुए भी मारवाड़ का स्वामी स्वीकार किया.
Ans – अकबर ने शूर सिंह ‘सवाई राजा’ की उपाधि से सम्मानित किया था.
Ans – अकबर ने शूर सिंह को ‘सवाई राजा’ की उपाधि से 1604 ई. में सम्मानित किया गया था.
Ans – दक्षिण में रहते हुए महाराजा शूरसिंह की मृत्यु हो गई थी.
Ans – महाराजा शोर सिंह की मृत्यु 1619 ई. में हुई थी.
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