गागरोण का युद्ध | मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी द्वितीय एवं मेवाड़ महाराणा सांगा के बीच राज्य विस्तार की महत्त्वाकांक्षा के कारण संबंध कटु थे
गागरोण का युद्ध
मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी द्वितीय एवं मेवाड़ महाराणा सांगा के बीच राज्य विस्तार की महत्त्वाकांक्षा के कारण संबंध कटु थे। इसी बीच महाराणा सांगा ने मालवा से निष्कासित सरदार मेदिनीराय की सहायता कर उसे चंदेरी एवं गागरोण की जागीर प्रदान की। अतः महमूद खिलजी द्वितीय ने मेवाड़ के साथ युद्ध का अवसर समझकर 1519 ई. में गागरोण पर आक्रमण कर दिया।
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मगर महाराणा सांगा का मेदिनीराय की सहायतार्थ आने से महमूद खिलजी गागरोण के युद्ध में पराजित हुआ और बंदी बना लिया गया। सुल्तान का पुत्र आसफखां इस युद्ध में मारा गया। सांगा सुल्तान को अपने साथ चित्तौड़ ले गया, जहाँ उसे तीन माह कैद रखा गया। एक दिन महाराणा सांगा सुल्तान को एक गुलदस्ता देने लगा। इस पर उसने कहा कि किसी चीज के देने के दो तरीके होते हैं।
एक तो अपना हाथ ऊँचा कर अपने से छोटे को देवें या अपना हाथ नीचा कर बड़े को नजर करें। मैं तो आपका कैदी हूँ इसलिए यहाँ नजर का तो कोई सवाल ही नहीं और भिखारी की तरह केवल इस गुलदस्ते के लिए हाथ पसारना मुझे शोभा नहीं देता। यह उत्तर सुनकर महाराणा बहुत प्रसन्न हुआ और गुलदस्ते के साथ सुल्तान को मालवा का आधा राज्य सौंप दिया।
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महाराणा को रत्नजड़ित मुकुट और सोने की कमर पेटी भेंट की। तत्पश्चात् छः महीने बाद उसके पुत्र को जमानत के रूप में रखकर उसे ससम्मान मुक्त कर दिया। ‘तबकाते अकबरी’ के लेखक निजामुद्दीन अहमद ने राणा के इस उदार व्यवहार की प्रशंसा की।
दिल्ली सल्तनत और सांगा: महाराणा सांगा ने दिल्ली सल्तनत को निर्बल पाकर उसके अधीनस्थ वाले मेवाड़ के निकटवर्ती भागों को अपने राज्य में मिलाना आरम्भ कर दिया परन्तु जब दिल्ली सल्तनत की बागड़ोर इब्राहीम लोदी के हाथ में आयी तो उसने 1517 ई. में एक बड़ी सेना के साथ मेवाड़ पर चढ़ाई कर दी। दिल्ली सुल्तान इब्राहीम लोदी एवं राणा सांगा के मध्य दो युद्ध हुए।
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गागरोण का युद्ध FAQ
Ans – गागरोण का युद्ध 1519 ई. में हुआ था.
Ans – आसफखां.
Ans – महाराणा सांगा ने महमूद खिलजी द्वितीय को तीन माह तक कैद में रखा था.
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