श्राद्धपक्ष | भारत में कई प्रकार के उपवास-पूजा प्रचलित है, इनमें से एक श्राद्धपक्ष भी है. यह हिन्दू मास के अनुसार भाद्रपद मास में की जाती है
श्राद्धपक्ष
भारत में कई प्रकार के उपवास-पूजा प्रचलित है, इनमें से एक श्राद्धपक्ष भी है. यह हिन्दू मास के अनुसार भाद्रपद मास में की जाती है. यह पूजा भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक की जाती है. भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के सौलह दिन सनातन धर्मियों में पितरों के दिन माने जाते हैं। माना जाता है कि इस पक्ष में पितृलोक के द्वार खुल जाते है और पितृजन अपनी संततियों को देखने की लालसा को चलते पृथ्वी लोक का विचरण करने लगते है। केवल जीवित-माता पिता की सेवा ही नहीं अपितु मृत पूर्वजों की उपासना कर पितृ ऋण से शनैः शनै उऋण होने का उपक्रम ही श्राद्ध है। पितृपक्ष के 16 दिनों में न केवल पूर्वज अपितु निराश्रितों, मित्रों तथा ब्रह्म से लेकर समस्त जीवों व योनि धारियों को जलदान करने का विधान है। जिसे कर्मकाण्ड की भाषा में तर्पण कहा गया है।
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श्राद्धपक्ष FAQ
Ans – श्राद्धपक्ष पूजा भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक की जाती है.
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