राव रणमल | चूँडा का ज्येष्ठ पुत्र होते हुए भी रणमल को अपने सौतेले भाई कान्हा के पक्ष में अपना राज्याधिकार छोड़ना पड़ा था। परन्तु वह स्वभाव से महत्त्वाकांक्षी था
राव रणमल
चूँडा का ज्येष्ठ पुत्र होते हुए भी रणमल को अपने सौतेले भाई कान्हा के पक्ष में अपना राज्याधिकार छोड़ना पड़ा था। परन्तु वह स्वभाव से महत्त्वाकांक्षी था। मारवाड़ में जोजावर की जागीर से वह सन्तुष्ट न था। कुछ समय वहाँ रहकर वह मेवाड़ में महाराणा लाखा की सेवा में चला गया।
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वहाँ उसने अपनी बहन हंसाबाई का विवाह राणा लाखा से इस शर्त पर किया कि उससे उत्पन्न पुत्र ही मेवाड़ का उत्तराधिकारी होगा। कुछ समय बाद जब उसने अपनी बहन हंसाबाई का विवाह लाखा के साथ कर दिया तो उसके मेवाड़ की राजनीति में प्रभाव बढ़ने के आसार बन गये। 1421 ई. में लाखा की मृत्यु हो गयी और उसका पुत्र मोकल मेवाड़ की गद्दी पर बैठा।
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उसके अल्पवयस्क होने से मेवाड़ के राज्य का सारा प्रबन्ध मोकल का ज्येष्ठ भ्राता चूँडा देखता था। परन्तु हंसाबाई को चूँड़ा पर सन्देह होने लगा, जिससे चूँडा माण्डू के सुल्तान होशंग के पास चला गया। इस घटना के बाद मेवाड़ के सभी कामों की देखरेख रणमल हो करने लगा। अब वह मेवाड़ का सर्वेसर्वा बन गया। कुछ समय पश्चात् रणमल ने मेवाड़ की सेना लेकर मण्डौर पर आक्रमण किया और सन् 1426 में उसे अपने अधिकार में ले लिया।
महाराणा लाखा के बाद उनके पुत्र मोकल तथा उनके बाद महाराणा कुंभा के अल्पवयस्क काल तक मेवाड़ के शासन की देखरेख रणमल के हाथों में ही रही। अधिकार के आवेश में राघवदेव जैसे योग्य व्यक्ति की हत्या करवाकर रणमल ने अपने पराभव को निकट बुला लिया। इसी समय से रणमल के विरुद्ध भी षड्यंत्र रचा गया, जिसके फलस्वरूप 1438 ई. में उसकी हत्या कर दी गयी।
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राव रणमल FAQ
Ans – रणमल स्वभाव से महत्त्वाकांक्षी था.
Ans – लाखा की मृत्यु 1421 ई. में हुई थी.
Ans – लाखा की मृत्यु के बाद मोकल मेवाड़ की गद्दी पर बैठा था.
Ans – रणमल ने 1426 ई. को मंडोर पर आक्रमण कर अपने अधिकार में ले लिया था.
Ans – रणमल की हत्या 1438 ई. को कर दी गई थी.
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