राणा हम्मीर | 1326 ई. में सीसोदा शाखा के राणा अरिसिंह के पुत्र ‘राणा हम्मीर’ ने चित्तौड़गढ़ पर अधिकार कर लिया। तब से मेवाड़ के शासक महाराणा/राणा तथा वंश सिसोदिया कहलाने लगा
राणा हम्मीर
रतनसिंह के चित्तौड़ के घेरे के समय काम आने से समूची रावल शाखा की भी समाप्ति हो गयी। अलाउद्दीन ने चित्तौड़ को हस्तगत कर अपने बड़े बेटे के नाम पर इसका नाम ‘खिज्राबाद’ रखा एवं खिज्रखां को यहाँ का प्रशासक नियुक्त किया। खिलजी ने बाद में चौहानों की नियुक्ति की। यह विजय एक सैनिक विजय थी।
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खिज्रखाँ से जब किला लेकर सोनगरा चौहान मालदेव को दिया गया तो वह भी अपना स्थायी अधिकार इस पर न जमा सका। किले के सिपाहियों और रक्षकों को, जैसा फरिश्ता लिखता है, स्थानीय लोगों ने मार दिया और 1326 ई. के लगभग किले की पुनः व्यवस्था स्थापित करने का श्रेय हम्मीर को मिला।
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1326 ई. में सीसोदा शाखा के अरिसिंह के पुत्र ‘हम्मीर’ ने चित्तौड़गढ़ पर अधिकार कर लिया। तब से मेवाड़ के शासक महाराणा/राणा तथा वंश सिसोदिया कहलाने लगा। हम्मीर को ‘मेवाड़ का उद्दारक’ की संज्ञा दी जाती है।
कुंभलगढ़ प्रशस्ति में हम्मीर को ‘विषम घाटी पंचानन’ (विकट आक्रमणों में सिंह के सदृश्य) कहा है। हम्मीर ने सिंगोली (बाँसवाड़ा) के युद्ध में मुहम्मद बिन तुगलक की सेना को परास्त किया। उसने चित्तौड़ में ‘अन्नपूर्णा माता का मंदिर’ बनवाया। हम्मीर का पुत्र क्षेत्रसिंह हुआ जो राणा खेता के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हम्मीर ने चित्तौड़ को अपने अधिकार में कर लिया और धीरे-धीरे सम्पूर्ण मेवाड़ पर उसका प्रभुत्व जम गया।
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राणा हम्मीर FAQ
Ans – अलाउद्दीन ने चित्तौड़ को हस्तगत कर अपने बड़े बेटे के नाम पर इसका नाम ‘खिज्राबाद’ रखा.
Ans – अलाउद्दीन ने चित्तौड़ का प्रशासक खिज्रखां को नियुक्त किया था.
Ans – चित्तौड़ किले की पुनः व्यवस्था 1326 ई. में स्थापित की गई थी.
Ans – चित्तौड़ किले की पुनः व्यवस्था स्थापित करने का श्रेय रना हम्मीर को मिला था.
Ans – राणा हम्मीर ने 1326 ई. में चित्तौड़गढ़ पर अपना जमा लिया था.
Ans – हम्मीर के पिता जी का नाम राणा अरिसिंह था.
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