परमार वंश | परमार मध्यकालीन भारत का एक अग्निवंशी क्षत्रिय राजवंश था. लगभग सम्पूर पश्चमी भारत में परमार वंश का शासन था. इन्होनें 7वी सदी से 14वी सदी तक शासन चलाया था
परमार वंश
परमार मध्यकालीन भारत का एक अग्निवंशी क्षत्रिय राजवंश था. इस राजवंश का अधिकार क्षेत्र धार-मालवा-उज्जयिनी-आबू पर्वत और सिन्धु के निकट अमरकोट आदि राज्यों तक भी था. लगभग सम्पूर पश्चमी भारत में परमार वंश का शासन था. इन्होनें 7वी सदी से 14वी सदी तक शासन चलाया था.
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‘परमार’ शब्द का अर्थ ‘शत्रु को मारने वाला’ होता है। चन्दबरदाई के पृथ्वीराज रासो में परमारों की उत्पत्ति अग्निकुण्ड से बताई गई है। उदयपुर प्रशस्ति, पिंगल सूत्रवृत्ति, तेजपाल अभिलेख में परमारों को ‘ब्रह्म क्षत्रकुलीन’ बताया गया है।
परमारों में आबू के परमार, मारवाड़ के परमार, सिंघ के परमार, गुजरात के परमार, बागड़ के परमार, मालवा के परमार आदि शाखाएँ हुई, जिनमें से आबू के परमार एवं मालवा के परमार प्रमुख हुए।
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परमार वंश FAQ
Ans – परमार राजवंश मध्यकालीन भारत का एक अग्निवंशी क्षत्रिय राजवंश था.
Ans – राजवंश का अधिकार क्षेत्र धार-मालवा-उज्जयिनी-आबू पर्वत और सिन्धु के निकट अमरकोट आदि राज्यों तक भी था.
Ans – परमार राजवंश ने 7वी सदी से 14वी सदी तक शासन चलाया था.
Ans – ‘परमार’ शब्द का अर्थ ‘शत्रु को मारने वाला’ होता है.
Ans – चन्दबरदाई के पृथ्वीराज रासो में परमारों की उत्पत्ति अग्निकुण्ड से बताई गई है.
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